
राजस्थान के जयपुर में गोबर और मिट्टी से बनी उत्तर मुखी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित गई है. इसकी ऊंचाई 35 फीट है और स्थापना महालक्ष्मी नारायण धाम मंदिर परिसर में की गई है. संकट मोचन गोबरिया हनुमानजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा बीते 24 जनवरी को की गई थी.
इसके अलावा 20 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा गर्भगृह भी बनाया गया है. पूरे मंदिर पर गोबर का लेप लगाया गया है. इसमें मुख्य मूर्ति का आकार 35 फीट ऊंचा, 18 फीट चौड़ा और 4 फीट मोटा है.
हनुमान जी की इस विशलकाय प्रतिमा को बनाने के लिए गोबर की 23 हजार ईंट लगी हैं. साथ ही गोबर से ही डेढ़ फीट ऊंची गणेश जी की प्रतिमा और एक फीट ऊंची लक्ष्मी जी प्रतिमा बनाई गई है.
हनुमान जी की मूर्ति बनाने में लगा डेढ़ साल
मंदिर के पुजारी विष्णु दत्त शर्मा ने बताया कि गाय के गोबर और मिट्टी से मूर्ति बनाने में डेढ़ साल का समय लगा है. इसे सात कारीगरों ने मिलकर तैयार किया है. इसे बनाने में 17 लाख रुपये का खर्च आया है.
हालांकि, परियोजना पूरा करने में दो करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इसमें अभी 121 फीट की गाय के गोबर की महालक्ष्मी जी की मूर्ति सहित कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित होंगी.
गोबर से ही बनया गया है गर्भगृह
मंदिर प्रबंधन का दावा है कि गाय के गोबर की यह विशाल प्रतिमा एक हजार साल तक ज्यों की त्यों बनी रहेगी. इसके लिए मूर्ति बनाने में गोबर के अलावा मैदा, लकड़ी, लोहा, चूना और पत्थर आदि मिलाया गया है. साथ ही सिंदूर का घोल चढ़ाया गया है.
इसके अलावा पूरे स्ट्रक्चर को गोबर से बने गर्भगृह से कवर किया गया है. मंदिर की छत के ऊपर टीन शेड लगाया गया है, ताकि बरसात में भी मूर्ति पूरी तरह सुरक्षित रहे.