
राजस्थान के नागौर में तीन मामाओं ने अपनी भांजी के मायरे (भात) में करोड़ों रुपये खर्च किए थे. अब एक बेहद ही दिलचस्प मायरा हनुमानगढ़ जिले के गांव नेठराणा में देखने को मिला. यहां भाई के न होने पर पूरा गांव भाई बना और फिर दो भांजियों का मायरा (भात) भरा. इसकी पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है.
दरअसल, जिले के गांव नेठराणा की रहने वाली मीरा की शादी हरियाणा के फतेहाबाद जिले के भट्टू ब्लॉक क्षेत्र स्थित गांव जांडवाला बांगड़ में हुई थी. शादी के बाद मीरा की दो बेटियां और एक बेटा हुआ. लेकिन कुछ सालों बाद नेठराणा में रहने वाले मीरा के पिता जोराराम बेनीवाला और इकलौता भाई संतलाल की मौत हो गई. इसके बाद मीरा के पति महावीर माचारा की भी जान चली गई. ऐसे में वह अपने तीन बच्चों के साथ अकेले रह गई.
दो बेटियों और बेटे के साथ अकेले रह गई मीरा
सोनू और मीनो की शादी तय होने के बाद जब मीरा को पीहर जाकर भाइयों को मायरा (भात) न्योतने की रस्म निभाने की बारी आई तो मीरा का गला रुंध गया, वह पिता के घर को ही तिलक लगाकर लौट आई. मीरा के मायके में कोई नहीं था, इसलिए उसे यही उम्मीद थी कि बेटी की शादी में मायके से कोई नहीं आएगा. लेकिन जब गांववालों मीरा के दर्द का पता चला तो पूरे गांव भात भरने का निर्णय लिया.
पूरे गांव की महिलाएं, पुरुष और बच्चे ढोल नगाड़े के साथ मीरा के घर मायरे की रस्म पूरा करने पहुंच गए. मायके (पीहर) से आए लोगों को देख कर मीरा की आंखें छलछला उठीं. भातियों ने यहां वो हर रस्म अदा की, जो मामा करता है.
मीरा के भाई संतलाल ने शादी नहीं की थी, उसने सन्यास धारण कर लिया था. संतलाल की मौत के बाद ग्रामीणों ने गांव में उसकी समाधि बना दी.
500 के करीब भाती ढोल नगाड़े के साथ पहुंचे
पीहर से कोई आशा नहीं थी, पर वह गांववालों के इस प्रेम को देखकर मीरा रो पड़ी. इस मायरे में मीरा को 7 लाख रुपये नकद, 3 लाख रुपये के गहने और लाखों रुपये के कपड़े उपहार में मिले. साथ ही शादी का खर्च उठाने की भी बात कही गई. ग्रामीणों का कहना कि नरसी के भात, जो कि श्रीकृष्ण ने भरा था, इसके बाद अब मीरा के भात की ही चर्चा प्रदेश में ही ही नहीं पूरे देश में हो रही है.
बताया जा रहा है कि भातियों को टीका कर गृह प्रवेश कराने में ही करीब 5 घंटे लग गए. गाड़ियों का काफिला देखकर ग्रामीण भी स्तब्ध रह गए. भात भरने पहुंचे लोगों ने कहा कि यह केवल अपने गांव की बेटी का भात नहीं है, बल्कि महाराज श्री 1008 निकूदास के शिष्य संत लाल महाराज की बहन का भात है. इसलिए उनके सभी भक्त आज यहां यह मायरा भरने आए हैं.