राजस्थान के कोटा में एक सरकारी स्कूल में शौचालय की दीवार गिरने से सात वर्षीय बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच के बाद, जिला शिक्षा विभाग ने कथित लापरवाही के लिए शनिवार को स्कूल के तीन शिक्षकों को निलंबित कर दिया और विस्तृत जांच के आदेश दिए.
पीटीआई के मुताबिक सर्किल इंस्पेक्टर सत्यनारायण मालव ने बताया कि दरबेची गांव के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 की छात्रा रोहिणी शुक्रवार को दोपहर के समय शौचालय की जर्जर दीवार गिरने से घायल हो गई थी.
पुलिस ने बताया कि स्कूल के कर्मचारियों ने लड़की के माता-पिता को सूचित किया, जो उसे सुल्तानपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. प्राथमिक चिकित्सा के बाद डॉक्टरों ने उसे उच्च स्वास्थ्य सुविधा के लिए रेफर कर दिया, जिसके बाद परिवार उसे कोटा के एक निजी अस्पताल में ले गया, जहां शुक्रवार शाम को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
शनिवार को लड़की के माता-पिता ने स्कूल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई और उन्हें उसकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया. शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) अधिनियम की धारा 194 (आत्महत्या आदि पर पुलिस द्वारा जांच और रिपोर्ट करना) के तहत मामला दर्ज किया और कहा कि जांच के अनुसार अतिरिक्त आरोप जोड़े जाएंगे. अधिकारियों ने कहा कि शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट भी केस फाइल में शामिल की जाएगी.
जिला शिक्षा अधिकारी के.के. शर्मा ने कहा कि प्राथमिक और खंड शिक्षा अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने शनिवार को स्कूल का दौरा किया और पाया कि तीन शिक्षक - अशोक कुमार पोरवाल, रामदयाल मेघवाल और गायत्री कंवर - प्रथम दृष्टया लापरवाह थे.
उन्होंने कहा कि उन्हें निलंबित कर दिया गया है और आगे की कार्रवाई के लिए विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है.
ग्रामीणों के अनुसार, स्कूल में एक कर्मचारी का चार पहिया वाहन उपलब्ध था, लेकिन शिक्षकों ने कथित तौर पर लड़की को तुरंत अस्पताल ले जाने के बजाय माता-पिता का इंतजार किया.
घटना से गुस्साए लड़की के परिवार और ग्रामीणों ने मुआवजे और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दरबेची रोड पर विरोध प्रदर्शन किया.
उपमंडल अधिकारी और पुलिस मौके पर पहुंचे और परिवार को 5.50 लाख रुपये मुआवजे का आश्वासन दिया. पुलिस ने बताया कि परिवार को मौके पर ही 3.50 लाख रुपये सौंपे गए और बाकी रकम देने का आश्वासन दिया गया, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन खत्म कर दिया गया.