मनरेगा की तर्ज पर राजस्थान सरकार ने इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुरानी बावड़ी के जिर्णोंद्दार के काम के लिए जयपुर से इस योजना की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने मजदूरों से बात भी की. इस योजना में राज्य में तीन लाख शहरी बेरोजगारों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. इसमें 100 दिन की रोजगार की गारंटी होगी. प्रत्येक मजदूर को रोजाना 259 रुपये मिलेंगे. कम मजदूरी की वजह से इस योजना में फिलहाल मजदूर नहीं मिल रहे हैं.
इस योजना के तहत कोई भी परिवार रोजगार के लिए अपना पंजीयन करा सकता है. सरकार 15 दिनों के अंदर उसे रोजगार देगी. जल संचयन, हेरिटेज संरक्षण, उद्यान-पार्क रखरखाव, साफ-साफाई जैसे 953 कामों की सूची बनाई गई है. 800 करोड़ की इस योजना की शुरुआत 6 करोड़ के काम से हुई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्र हमारी इस योजना को रेवड़ी कह रही है. यह रेवड़ी नहीं जन सेवा है.
तीन लाख लोगों के जॉब कार्ड बने
योजना के तहत अब तक तीन लाख लोगों के जॉब कार्ड बने हैं. लेकिन 90 हजार लोगों ने काम करने की इच्छा जताई है. महिला मजदूर नहीं मिलने पर घरेलू महिलाओं को बुलाना पड़ा.
सीएम साहब निकले और सभी ने हेलमेट उतार फेंके
योजना के शुभारंभ होने के बाद जैसे ही सीएम गए, सभी ने हेलमेट उतार कर फेंक दिए. मजदूर इस योजना में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसकी वजह है कि बाहर कारीगर को 900 रुपये और मजदूर को 500 रुपये मिलते हैं. जबकि योजना के तहत सभी को 259 रुपये ही मिल रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि हेरिटेज संरक्षण के इस काम में हमें कोई बताने वाला नहीं है.
इस वजह से उठ रहे सवाल
इतने बड़े प्रोजेक्ट की देखरेख के लिए कोई अधिकारी और इंजीनियर नहीं है. जिससे सभी के मन में आशंका है कि यह योजना कहीं नगर निगम के भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए. योजना लांच करते समय ही मुख्यमंत्री गहलोत के सामने मेयर मुनेश गुर्जर ने मंच पर ही सरकार को खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने कहा कि नगर निगम का हाल बहुत बुरा है.