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पाकिस्तानी जायरीनों का जत्था पहुंचा अजमेर, कहीं और जाने की इजाजत नहीं

करीब दो साल बाद पाकिस्तानी जायरीनों का एक जत्था उर्स के लिए अजमेर पहुंचा जहां रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. पूरे प्लेटफॉर्म को पाकिस्तानी नागरिकों के लिए खाली रखा गया था. बता दें कि पाकिस्तान से आए लोगों को अजमेर शरीफ दरगाह के अलावा कहीं और जाने की इजाजत नहीं होगी.

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अजमेर पहुंचा पाकिस्तानी नागरिकों का जत्था
अजमेर पहुंचा पाकिस्तानी नागरिकों का जत्था

राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह पर पाकिस्तानी नागिरकों का एक जत्था उर्स के मौके पर पहुंचा जिसके लिए रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें उर्स के मौके पर शिरकत करने के लिए पाकिस्तानी जायरीन का जत्था आज सुबह अजमेर पहुंचा. 

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पाकिस्तान से जायरीन अटारी बॉर्डर होते हुए अमृतसर पहुंचे जिसके बाद एक विशेष ट्रेन से उन्हें अजमेर पहुंचाया गया. इस दौरान अजमेर रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी.  

पाक जायरीन आगामी एक फरवरी तक अजमेर में ही रहेंगे जिनके रुकने के लिए अजमेर के सेंट्रल गर्ल्स स्कूल में व्यवस्था की गई है. बताया जा रहा है कि पाक जायरीन को अजमेर जिला प्रशासन ग्रुप में दरगाह में जियारत करवाएगा. 

खासबात ये है कि  उन्हें दरगाह के अलावा अन्य स्थान पर जाने की अनुमति नहीं होगी. अजमेर रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उन्हें रेलवे स्टेशन से बाहर निकाला गया और इस दौरान प्लेटफार्म नंबर एक को पूरी तरह से खाली करवा दिया गया. 
 
दो साल कोरोना महामारी की वजह से पाकिस्तान के जायरीन को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स में आने की अनुमति नहीं दी गई थी. दो साल के अंतराल के बाद अजमेर पहुंचे पाक जायरीन ने अजमेर की जमीं को चूमकर ख्वाजा गरीब नवाज का शुक्रिया अदा किया.

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जायरीनों की संख्या घटी

हर साल सूफी संत ख्वाजा मोइनुदीन हसन चिश्ती के उर्स में शिरकत करने करीब 450 से अधिक पाक जायरीन का जत्था अजमेर पहुंचता था लेकिन इस बार सिर्फ 240 पाक जायरीन ही अजमेर पहुंचे हैं. बताया जा  रहा है कि करीब 480 लोगों की सूची भारत सरकार को मिली थी लेकिन 240 लोगों को ही वीजा जारी किया गया है.
 


 

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