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भरतपुर के युवाओं ने बॉक्सिंग टूर्नामेंट में जीता गोल्ड और ब्रॉन्ज, कोच बोले- मुंह पर पंच लगने का डर खत्म

कोच एसआर सिंह का मानना है कि भरतपुर के बच्चों में उत्साह और बॉक्सिंग के लिए ताकत की कोई कमी नहीं है. बस उन्हें सही प्लेटफॉर्म पर लाना जरूरी है. अगर उन्हें शुरुआती दौर से ही गाइडेंस मिले तो बच्चों को बड़े टूर्नामेंट्स के लिए उन्हें तैयार किया जा सकता है. 

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भरतपुर के युवाओं ने जीता गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल
भरतपुर के युवाओं ने जीता गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल

राजस्थान का पूर्वी द्वार भारतपुर रियासतकालीन समय से पहलवानों के लिए जाना जाता रहा है. कुश्ती का राजस्थान केसरी का खिताब हमेशा से ही यहां के पहलवालों के नाम रहा है. अब भरतपुर बॉक्सिंग के लिए भी जाना जा रहा है. यहां के युवा मुक्केबाज अपने होने का एहसास देश को करा रहे हैं. हाल ही में भारतीय खेल प्राधिकरण और बीएफआई इलेक्ट्रिकल कॉरपोरेशन द्वारा देश के चार जोन में टूर्नामेंट आयोजन हुआ था. जिसमें गुरदीप सिंह को गोल्ड और प्रिंस राजोरिया को ब्रॉन्ज मेडल मिला. 

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यह दोनों युवा मुक्केबाज पूर्व भारतीय बॉक्सिंग कोच एसआर सिंह की बॉक्सिंग अकादमी में प्रैक्टिस करते हैं. कोच स्वतंत्र राज सिंह का कहना है कि साउथ जोन का बॉक्सिंग टूर्नामेंट बेंगलुरु में हुआ था. जिसमें हमारी अकादमी के दो बच्चे गए थे. गुरदीप सिंह ने गोल्ड मेडल और प्रिंस राजोरिया ने ब्रॉन्ज मेडल जीता है. जो भरतपुर के लिए बड़ी गर्व की बात है. हमारी कोशिश यही है कि यहां से ज्यादा से ज्यादा बच्चे बॉक्सिंग खेले. 

यह भी पढ़ें- भिवानी के बाद अब भरतपुर भी बन रहा बॉक्सिंग हब, कोच एसआर सिंह की देखरेख में तैयार हो रहे हैं बॉक्सर

बॉक्सिंग में भरतपुर के लड़के दिखा रहे हैं दम

कोच एसआर सिंह का मानना है कि यहां के बच्चों में उत्साह और बॉक्सिंग के लिए ताकत की कोई कमी नहीं है. बस उन्हें सही प्लेटफॉर्म पर लाना जरूरी है. अगर उन्हें शुरुआती दौर से ही गाइडेंस मिले तो बच्चों को बड़े टूर्नामेंट्स के लिए उन्हें तैयार किया जा सकता है. माता-पिता को इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं उनके बच्चे का चेहरा पंच लगने से खराब न हो जाए. लेकिन धीरे-धीरे यह डर निकल रहा है जिसकी वजह से ग्रामीण लड़कियां में बॉक्सिंग का अच्छा क्रेज बढ़ गया है.

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ग्रामीण लड़कियों में बढ़ा बॉक्सिंग का क्रेज

बता दें, एसआर सिंह बॉक्सिंग अकेडमी में 5 साल के बच्चों से लेकर युवा लड़के और लड़कियां प्रैक्टिस कर रहे हैं. युवाओं का लक्ष्य है बड़े इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में देश के लिए पदक जीते.   

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