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Ajmer: ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में PM Modi ने भेजी चादर, बुधवार को होगी पेश

विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती (Sufi saint Khwaja Moinuddin Hasan Chishti) के 811वें सालाना उर्स का आगाज हो चुका है. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुधवार सुबह चादर पेश की जाएगी. यह चादर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी अजमेर लेकर आएंगे.

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पीएम मोदी सहित अन्य लोग चादर के साथ.
पीएम मोदी सहित अन्य लोग चादर के साथ.

विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती (Sufi saint Khwaja Moinuddin Hasan Chishti) के 811वें सालाना उर्स का आगाज हो चुका है. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुधवार सुबह चादर पेश की जाएगी. यह चादर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी अजमेर लेकर आएंगे.

खादिम अफसान चिश्ती ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह चादर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को सौंपी है. साथ ही देश में अमन-चैन का संदेश भी दिया गया है. जमाल सिद्दीकी इस संदेश को बुलंद दरवाजे से पढ़कर जायरीन को सुनाएंगे.

यह भी बताया गया कि प्रधानमंत्री की चादर पेश करने के दौरान भाजपा के स्थानीय सांसद, विधायक भी मौजूद रहेंगे. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी की और से हर वर्ष दरगाह पर चादर पेश की जाती है.

19 जनवरी को झंडा किया गया था पेश

सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें सालाना उर्स की अनौपचारिक शुरुआत के बाद दरगाह के एतिहासिक बुलंद दरवाजे पर झंडा पेश करने की रस्म की गई थी. भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के पोते फखरुद्दीन ने दरगाह शरीफ के 85 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म अदा कर इसकी घोषणा की थी. 

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अफगानिस्तान के बादशाह ने की थी शुरू की था झंडा चढ़ाने की परंपरा

उर्स में झंडा चढ़ाने की परंपरा अफगानिस्तान के बादशाह ने शुरू की थी. इसके बाद गौरी परिवार नियमित रूप से अपने परिवार के साथ झंडा की रस्म निभाते चले आ रहे हैं. बुधवार को झंडे का जुलूस गरीब नवाज गेस्ट हाउस से कव्वालियों और बैंड बाजों की सूफियाना धुन पर लंगरखाना गली होते हुए निजाम गेट पहुंचा.

छह दिन के लिए खुलता है जन्नती दरवाजा

811वें सालाना उर्स पर छह दिनों के लिए जन्नती दरवाजा खोला जाना है. सालभर में जन्नती दरवाजा तीन बार ही खोला जाता है. पहली बार दिन ईद-उल-फितर के मौके पर. दूसरी बार बकरा ईद के मौके पर और तीसरी बार ख्वाजा साहब के गुरु हजरत उस्मान हारूनी के सालाना उर्स के मौके पर यह दरवाजा खुलता है.

परंपरा के अनुसार, जन्नती दरवाजा उर्स में आने वाले जायरीन के लिए खोला जाता है. इसी परंपरा के अनुसार, यह दरवाजा कुल की रस्म के बाद 6 रजब को बंद कर दिया जाता है.

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