राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से बहने वाली चंबल नदी में मगरमच्छों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है. बताया जा रहा है कि तीन राज्य के जीव जंतु विशेषज्ञ चंबल नदी में 14 फरवरी से गणना का सर्वे का काम शुरू करेंगे. जिसकी बाद इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी.
बताया जा रहा है कि चंबल में सबसे ज्यादा घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और कछुए पाए जाते हैं. चंबल नदी में वर्तमान समय में दो हजार 108 घड़ियालों के साथ 878 मगरमच्छ और 96 डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीव हैं. साल 1975 से 1977 तक विश्वव्यापी नदियों के सर्वे के दौरान 200 घड़ियाल पाए गए थे. जिनमें 46 घड़ियाल चंबल नदी के प्राकृतिक वातावरण में स्वच्छंद विचरण करते हुए मिले थे.
चंबल नदी में बढ़ी मगरमच्छ और घड़ियालों की संख्या
चंबल नदी के 960 किलोमीटर एरिया को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य वर्ष 1978 में स्थापित किया गया था. तभी से देवरी घड़ियाल केंद्र पर कृत्रिम वातावरण में नदी से प्रतिवर्ष 200 अंडे निकालकर उनका लालन-पालन किया जाता है और तीन वर्ष बाद उन्हें चंबल में छोड़ दिया जाता है. चंबल नदी का सबसे अधिक एरिया 435 किलोमीटर मध्य प्रदेश की सीमा में आता है.
चंबल नदी में जलीय जीवों की गणना का काम पहले मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के चंबल अभ्यारण के अधिकारी करते थे. लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान के तीनों राज्यों के जंतु विशेषज्ञ एक साथ जलीय जीवों की गणना का सर्वे 14 फरवरी से शुरू करेंगे. चंबल नदी में घड़ियालों का परिवार लगातार बढ़ रहा है.
14 फरवरी से शुरू की जीव जंतु की गिणती
इस मामले पर राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण के डीएफओ स्वरूप दीक्षित ने बताया कि चंबल नदी में विचरण कर रहे जलीय जीव जन्तुओं का सर्वे 14 फरवरी से शुरू किया जाएगा और दस दिन में पूरा होगा. मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान, उत्तर प्रदेश से भी जीव जंतु विशेषज्ञ बुलाए हैं. साथ ही भारतीय वन्य जीव संस्थान और अन्य संस्थान के एक्सपर्ट भी मौजूद रहेंगे.