
राजस्थान के लोग जालोर की घटना को अभी तक भूले नहीं थे. इस बीच राजस्थान से दलित अत्याचार का एक और ताजा मामला सामने आया है. मंगलवार दोपहर 3 बजे अजमेर जिले के रूपनगढ़ इलाके में 25 साल के दलित युवक ओमप्रकाश रायगर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
पीड़िता का सुसाइड लेटर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला गर्मा गया है. सुसाइड नोट में उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया है कि राजनीतिक दबाव में न्याय नहीं किया जा रहा है. इसमें लिखा है कि दीवाली के दिन प्रभावशाली समुदाय के एक स्थानीय व्यक्ति ने उनके दिव्यांग पिता को लाठियों से पीटा. मगर, रूपनगढ़ थाने की पुलिस ने राजनीतिक दबाव में विवाद की रिपोर्ट कमजोर करके दर्ज की.
गर्मा गई राजनीति
इसके बाद बुधवार को विवाद और गहरा गया. सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के बाहर दलित समुदाय के लोग धरने पर बैठ गए. न्याय मिलने तक परिजनों ने शव लेने से इंकार कर दिया. वहीं, भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद भी रूपनगढ़ पहुंचे. उनके अलावा आरएलपी के गोपालगढ़ विधायक पुखराज गर्ग भी पीड़िता के घर पहुंचे. मृतक के परिजन को मुआवजा, सरकारी नौकरी और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
इसे देखते हुए एसडीएम, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सीओ सिटी मनीष शर्मा समेत चार थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गई. राजनेताओं सहित बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को पुलिस प्रशासन समझाने की कोशिश कर रहा है. पुलिस ने बताया कि छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद परिजन पोस्टमार्टम के लिए राजी हो गए, लेकिन उन्होंने अभी तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया है.
भेड़ चराने को लेकर हुआ था विवाद
पीड़िता ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, “मेरे पिता नारायण रायगर दिवाली के दिन अपने खेत में ग्वार और बाजरा की फसल इकट्ठा कर रहे थे. किशनराम गुर्जर और उनके दो भतीजे कानाराम और नंदराम भेड़ चराने के लिए वहां पहुंचे. जब मेरे पिता ने उनका विरोध किया, तो मेरे दिव्यांग पिता को लाठियों से पीटा गया.”
इसमें आगे लिखा है, "मेरे पिता ने किसी तरह जान बचाई और गांव वापस आए. उन्होंने मुझे और मेरी मां को पूरी बात बताई. जब हम वहां पहुंचे, तो दबंगों ने हमें भी घेर लिया और जाति सूचक शब्दों से हमें अपमानित किया. वे हमारे साथ भी ऐसा ही करते हैं. इससे पहले कि हम हमारी फसल को खेत में तैयार करें, ये भेड़-बकरियां खेत में छोड़कर हमें परेशान करते हैं.”
मृतक ने सुसाइड नोट में आगे लिखा, “जब हम घटना के बाद रिपोर्ट दर्ज करने के लिए थाने गए, तो पुलिस अधिकारी को फोन आया कि वह हमारा मामला न लिखें और वहां से हमें मेडिकल जांच के बाद भेज दिया गया. पुलिस ने कहा- कल आओ. अगले दिन जब हम गए, तो हमें अगले दिन आने के लिए कहा गया और पुलिस ने यह कहकर मामला खींचना शुरू कर दिया कि कल आना."
केस को हल्का कर दिया
सुसाइड नोट में आगे लिखा है, "जब हमने पुलिस से कहा कि हम कोर्ट जा रहे हैं, तो उन्होंने हमारी प्राथमिकी ले ली, लेकिन केस को हल्का कर दिया. वोट बैंक के चक्कर में हमारे गांव के पूर्व सरपंच रंजीत सिंह राठौड़ शिकायत में शामिल हो गए. उनकी बड़ी पहचान है. इसलिए उन्होंने और एसएचओ अयूब खान ने मेरे साथ मेरे छोटे भाई राहुल और मेरे चाचा जुगलकिशोर के खिलाफ झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई. अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.”
चाहें सब कुछ बिक जाए, उन्हें मत छोड़ना
भावुक रायगर ने सुसाइड लेटर में लिखा, “मैं अपने मां-बाप के स्वाभिमान को नहीं बचा सका. इतना कुछ सिखाने वालों के सामने जाने में भी शर्म आती है. आज मैं उनका स्वाभिमान नहीं बचा पाया. अब पढ़ चुका हूं और संविधान की समझ है, फिर भी मैं इस व्यवस्था के कारण कुछ नहीं कर सका. पूर्व सरपंच के पास राजनीतिक शक्ति है और इस शक्ति की मदद से उन्होंने मेरे मामले को राजनीतिक बना दिया और मैं बस देखता रहा.”
मैंने कानून की मदद ली, जबकि उन्होंने एक बनाया हमारे खिलाफ झूठा मामला बनाया. मैं अभी जो कर रहा हूं, वह बहुत गलत है. अब मेरे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है. मेरी मां, मैं इस जन्म में तुम्हारा नहीं हो सका. मुझे खेद है और मेरी बहन नीतू के लिए कुछ नहीं कर सका, इसका भी मुझे बहुत खेद है. नीतू माता-पिता का ख्याल रखती है और हिम्मत नहीं हारना. आप समझौता न करें. इस साजिश में शामिल लोगों पर कार्रवाई करें. भले ही सब कुछ बिक जाए, उन्हें मत छोड़ना.”
दो पुलिसकर्मियों सहित चार के खिलाफ आरोप तय
सिटी डिप्टी एसपी मनीष शर्मा ने बताया, “मामले में पीड़ित पक्ष की ओर से रिपोर्ट दी गई है. इसमें दो पुलिस अधिकारियों और चार अन्य के खिलाफ आरोप तय किए गए थे. मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है. मुझे मामले में जांच अधिकारी बनाया गया है. शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. शव को उठाने के संबंध में परिजनों की काउंसलिंग की जा रही है.”