राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल चल रही है. इमरजेंसी सर्विस बंद चल रही हैं. पिछले कुछ दिनों से राजस्थान के कई अस्पतालों से डराने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. जिसमें मरीज इलाज के लिए अस्पतालों में भटकते नजर आ रहे हैं.
सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल की बात करें तो जनरल, ईएनटी, ऑर्थो सहित विभिन्न विभागों में 230 बड़ी और छोटी सर्जरी ही हो सकीं, जबकि सामान्य दिनों में यह 500 से ज्यादा होती हैं.
एसएमएस के रेडियोलॉजी (एक्स-रे, सोनोग्राफी, सिटी स्कैन, एमआरआई), माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री लैब में टेस्ट भी कम हुए. आमतौर पर इन तीनों सेक्शन में हर दिन 33,000 से ज्यादा टेस्ट किए जाते थे, जो घटकर 23,000 रह गए. बांगड़ यूनिट की 2-डी इको लैब में जहां रोजाना औसतन 150 से ज्यादा लोगों की जांच की जाती थी. सिर्फ 80 लोगों की जांच की गई.
ओपीडी में मरीजों की संख्या कम हो गई है. 21 मार्च को पूरे एसएमएस में जहां ओपीडी मरीजों की संख्या 10,542 थी, वह घटकर 8,152 रह गई. एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर के अंतर्गत महात्मा गांधी, एमडीएम और उम्मेद अस्पताल में करीब 500 रेजीडेंट हैं. तीनों अस्पतालों में ओपीडी घट गई हैं.
मथुरादास माथुर अस्पताल में मंगलवार को ओपीडी 5,255 थी, जो गुरुवार को घटकर 3708 रह गई. लोग असमंजस में हैं कि इलाज मिलेगा या नहीं. यहां इमरजेंसी में 32 ऑपरेशन किए गए. महात्मा गांधी अस्पताल में सामान्य दिनों में ओपीडी 2000 से शुरू होकर 1703 रह गई. जबकि उम्मेद अस्पताल में 1200 ओपीडी होती है, जो घटकर 840 रह गई. आम दिनों में अकेले एमडीएम अस्पताल में ही 50 से ज्यादा ऑपरेशन हो जाते हैं.
उदयपुर के एमबी अस्पताल में सिजेरियन, मेजर सर्जरी, आर्थोपेडिक, जनरल सर्जरी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी में रेजिडेंट्स के उपलब्ध नहीं होने के कारण 100 से अधिक ऑपरेशनों स्थगित करने पड़े. एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा ने कहा कि सामान्य सर्जरी की संख्या 500 से घटकर 215 हो रह गई है. हालांकि, सभी आपातकालीन सर्जरी की जा रही हैं.
निजी डॉक्टरों का कहना है कि सरकार जबरदस्ती आरटीएच बिल थोप रही है. अहम सवाल यह है कि जनता की पीड़ा कब खत्म होगी और सरकार इस हड़ताल का समाधान कब ढूंढेगी.