राजस्थान के जयपुर में पुलिस ने दो छात्रों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने मौज-मस्ती की जिंदगी जीने के लिए नकली नोट छापने की फैक्ट्री बना डाली. इसके लिए 12वीं पास छात्र ने जेल में बैठकर नकली नोट बनाने की प्लानिंग बनाई और इसके लिए उसने बी.एड कर रहे दोस्त को पार्टनर बनाया. फिर उसके पुश्तैनी मकान को नकली नोट बनाने की फैक्ट्री बनाई और प्रिंटर रखकर नोट छापना शुरू कर दिया. इसके बाद दोनों बदमाशों ने असली 100 और 200 रुपए के नकली नोट बेचने का सौदा भी कर लिया लेकिन डिलीवरी देते वक्त पुलिस की एंट्री हो गई.
दरअसल जयपुर ग्रामीण के अमरसर थाना पुलिस ने 15 मार्च शनिवार को धानोता गांव के पास नाकाबंदी कर बाइक सवार एक युवक सचिन यादव को रुकवाया. तलाशी ली तो उसके पास एक लाख पांच हजार रुपए के जाली नोट मिले. इसमें 100 और 200 रुपए के जाली नोट थे. पुलिस ने आरोपी सचिन को गिरफ्तार कर नोट जब्त कर लिए और इसके बाद मास्टरमाइंड आरोपी सुरेन्द्र सैन को भी गिरफ्तार कर लिया. अमरसर थाने में कार्रवाई के बाद मामले की जांच चंदवाजी पुलिस को सौंपी गई. चंदवाजी थानाधिकारी हीरालाल सैनी ने बताया कि आरोपी सचिन यादव बिलांदरपुर गांव का रहने वाला है, जो अभी बी.एड कर रहा है. वही उसका दोस्त सुरेन्द्र सैन नांगल कोजू गोविंदगढ़ का रहने वाला है, जो 12वीं पास है और बीएड की तैयारी कर रहा है.
पुलिस पूछताछ में सचिन ने बताया कि उसके दोस्त सुरेन्द्र ने ही उसे जाली नोट तैयार करने का प्लान बताया था. सुरेन्द्र आपराधिक प्रवृति का है और उसके खिलाफ पहले भी दो मामले आर्म्स एक्ट के अलग अलग थानों में दर्ज हैं. आरोपी दो बार पुलिस गिरफ्त में आकर जेल भी जा चुका है, फिर जमानत पर छूटने के बाद वारदात को अंजाम देता है. वही गिरफ्तारी के बाद सुरेंद्र ने पूछताछ में बताया कि आखिरी बार जुलाई 2023 में जेल में रहने के दौरान उसकी जान पहचान दूसरे बदमाशों से हुई थी. बाहर आने के बाद भी उन बदमाशों से मुलाकात होती रहती थी, तब उन्ही बदमाशों ने नकली नोटों का कारोबार करने के लिए यूट्यूब पर जानकारी जुटाई. वहीं से जानकारी मिली कि कई ऐसे मोबाइल ऐप है जिसमें असली नोट का हूबहू ड्राफ्ट तैयार कर सकते हैं.
फिर सुरेन्द्र ने नकली नोट छापने के लिए करीब डेढ़ महीने पहले सचिन से चर्चा की और मोटी कमाई के लालच में सचिन इसके लिए राजी हो गया. इसके बाद दोनों ने यूट्यूब पर जाली नोट तैयार करने के कई वीडियो सर्च किए. पुलिस के अनुसार जाली नोट हूबहू तैयार करने के लिए, सबसे पहले असली नोट तैयार करने वाले कागज की जरूरत थी लेकिन वह कागज मिलना नामुमकिन था. यूट्यूब पर एक वीडियो में आरोपियों को वीडियो मिला, जिसमें असली नोट का ड्राफ्ट तैयार कर प्रिंट आउट निकालने के बारे में जानकारी ली और इसके बाद आरोपियों ने कलर प्रिंटर खरीदा. ए-4 के पेपर पीले रंग और सफेद रंग के कागज खरीदे और इसके बाद असली नोट प्रिंटर में लगाकर उसके प्रिंट आउट निकाले. फिर उनकी फोटो कॉपी की और उन जाली नोट की प्रॉपर कटिंग करने के बाद 100 और 200 के कुछ जाली नोट तैयार कर सचिन ने गांव में ही चलाए. इसके लिए सचिन रात के अंधेरे में दुकान पर जाता और वहां नोट देकर सामान खरीदता. दुकानदारों ने बिना किसी शक के नोट ले भी लिए और इसके बाद दोनों का हौंसला बढ़ गया.
अब आरोपियों को भरोसा हो चला था कि कोई भी नकली नोट पकड़ नहीं पाएगा, तभी जाली नोट की सप्लाई की योजना बनाई लेकिन करीब 15-20 दिनों तक कोई ऑर्डर नहीं मिला. तभी अचानक एक दिन एक लाख के जाली नोट तैयार करने की एक बदमाश के जरिए डील हुई. जिसमें 500 रुपए के एक नकली नोट के बदले असली 100 रुपए मिलेंगे और सचिन ने महज कुछ घंटों में ही नकली नोट तैयार कर बंडल बना दिए. इसके बाद आरोपी नोटों का बैग लेकर चौमूं की तरफ आ रहा था, लेकिन उससे पहले ही पुलिस के हत्थे चढ़ गया. सचिन और सुरेंद्र के नकली नोट तैयार करने की भनक पुलिस को पहले ही लग चुकी थी और बीते 15 दिन से दोनों पुलिस की रडार पर थे.
पुलिस के अनुसार जब आरोपी बड़ी मात्रा में जाली नोट खपाने के लिए ग्राहक तलाश रहे थे तभी पुलिस की डीएसटी टीम को इसका पता चला. जिसके बाद डीएसटी टीम ने दोनों बदमाशों पर नजर रखना शुरू किया और इनकी हरकतों पर, मिलने वाले लोगों पर नजर रखी जाने लगी. इसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि आरोपी सचिन बैग में बड़ी मात्रा में नोट लेकर निकल रहा है, उसके रूट की जानकारी भी पुलिस को लग गई. जिसके बाद पुलिस ने नाकाबंदी में आरोपी सचिन को जाली नोटों के साथ पकड़ उनके मंसूबो पर पानी फेर दिया.