
विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 811 वें सालाना उर्स की अनौपचारिक शुरुआत बुधवार को की गई. इसके लिए दरगाह के ऐतिहासिक बुलंद दरवाजे पर झंडा पेश करने की रस्म की गई. भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के पोते फखरुद्दीन ने दरगाह शरीफ के 85 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म अदा कर इसकी घोषणा की.
ख्वाजा साहब के उर्स में झंडे की रस्म अदा करने के लिए गरीब नवाज गेस्ट हाउस से झंडे का जुलूस निकाला गया और दरगाह पहुंचकर संपन्न हुआ. झंडे की रस्म के दौरान दरगाह परिसर में अकीदतमंदों को हुजूम उमड़ पड़ा. गाजे-बाजे और सूफियाना कलाम पढ़ते हुए झंडा चढ़ाया गया. दरगाह के नाजिम सयेद शाहिद हुसैन रिजवी ने बताया कि सदियों पहले संदेश देने का कोई साधन नहीं हुआ करता था.
अफगानिस्तान के बादशाह ने की थी शुरू किया था झंडा चढ़ाने की परंपरा
उस समय झंडे चढ़ाकर संदेश दिया जाता था. उर्स में झंडा चढ़ाने की परंपरा अफगानिस्तान के बादशाह ने शुरू की थी. इसके बाद गौरी परिवार नियमित रूप से अपने परिवार के साथ झंडा की रस्म निभाते चले आ रहे हैं. बुधवार को झंडे का जुलूस गरीब नवाज गेस्ट हाउस से कव्वालियों और बैंड बाजों की सूफियाना धुन पर लंगरखाना गली होते हुए निजाम गेट पहुंचा.
उर्स का झंडा चढ़ाने की रस्म के दौरान बड़े पीर की पहाड़ी से 21 तोपों की सलामी दी गई. इसके बाद फखरुद्दीन गौरी ने बुलंद दरवाजे पर झंडा फहराकर उर्स की रस्म अदायगी की. जुलूस के दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे. अकीदतमंद ख्वाजा साहब की शान में जयघोष लगाते हुए चल रहे थे. हर कोई ख्वाजा साहब की शान पर अपनी आस्था प्रकट कर रहा था.
उर्स की अनौपचारिक शुरुआत
बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म के साथ उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई है. अब अकीदतमंद की आवक धीरे-धीरे बढ़ेगी. रजब का चांद दिखने के बाद 22 जनवरी से उर्स की विधिवत शुरू होगी. इसके साथ दरगाह में गरीब नवाज के अकीदतमंद की तादाद बढ़ती चली जाएगी. उर्स के दौरान विभिन्न रसूमात और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
छह दिन के लिए खुलेगा जन्नती दरवाजा
811 वें सालाना उर्स पर छह दिनों के लिए जन्नती दरवाजा खोला जाएगा. सालभर में जन्नती दरवाजा तीन बार ही खोला जाता है. पहली बार दिन ईद उल फितर के मौके पर. दूसरी बार बकरा ईद के मौके पर और तीसरी बार ख्वाजा साहब के गुरु हजरत उस्मान हारूनी के सालाना उर्स के मौके पर यह दरवाजा खुलता है. परंपरा के अनुसार जन्नती दरवाजा उर्स में आने वाले जायरीन के लिए खोला जाता है. इसी परंपरा के अनुसार यह दरवाजा कुल की रस्म के बाद 6 रजब को बंद कर दिया जाता है.