राजस्थान के दौसा (Dausa) में बांदीकुई उपखंड के वार्ड नंबर 2 में दो साल की बच्ची नीरू बोरवेल (Borewell) में गिर गई थी. इसके बाद एक लंबा और चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन चला. बच्ची बुधवार की शाम खेलते-खेलते बोरवेल में गिरी थी. जब इस घटना के बारे में लोगों को पता चला तो हड़कंप मच गया. सूचना मिलते ही दौसा जिला प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तत्काल मौके पर पहुंचीं और रेस्क्यू शुरू किया गया.
रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि बोरवेल लगभग 35 फीट गहरा था. पहले मौके पर जेसीबी और एलएनटी मशीनों की मदद से बोरवेल के पास 40-50 फीट गहराई का गड्ढा खोदा गया, ताकि एक टनल बनाकर बच्ची तक पहुंचा जा सके. यह प्रक्रिया बेहद सावधानी से की गई, ताकि बोरवेल में फंसी बच्ची को कोई समस्या न हो.
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बच्ची को ऑक्सीजन पहुंचाई गई, ताकि उसकी स्थिति स्थिर बनी रहे. इसके साथ ही खाने के लिए केले दिए गए. रेस्क्यू टीम ने बच्ची के आत्मविश्वास को बनाए रखने के लिए भी उपाय किए. बच्ची की मां को बच्ची को आवाज देने को कहा गया, ताकि मां की आवाज सुनकर बच्ची को संबल मिल सके.
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लगभग 15 घंटे के प्रयास के बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने सफलतापूर्वक बच्ची को बोरवेल से सुरक्षित बाहर निकाल लिया. जैसे ही बच्ची को बाहर लाया गया, मौके पर मौजूद लोगों ने खुशी से जयकारे लगाने शुरू कर दिए. जिला कलेक्टर देवेंद्र यादव खुद बच्ची को गोद में लेकर बाहर आए. यह दृश्य वहां मौजूद सभी लोगों के लिए बेहद भावुक और खुशी से भरा हुआ था.
नीरू को तुरंत प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बताई गई. डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची को कोई गंभीर चोट नहीं आई है, लेकिन एहतियात के तौर पर उसकी जांच की जाएगी.
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें और स्थानीय लोगों का सहयोग रहा. क्षेत्र में बच्ची के सकुशल बाहर आने के बाद राहत और खुशी का माहौल है. लोगों का कहना है कि खुले बोरवेल कितने खतरनाक हैं, समझा जा सकता है. इन्हें समय रहते बंद किया जाना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.