हाथरस हादसे के बाद देशभर में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि की चर्चा तेज हो गई है. आए दिन बाबा से जुड़े नए-नए खुलासे हो रहे हैं. सूरजपाल के सत्संग में जाने वाली महिलाओं ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. महिलाओं ने बताया कि सूरजपाल उर्फ भोले बाबा हमेशा कुंवारी लड़कियों से घिरे रहते थे. सत्संग के दौरान लड़कियों को आयोजन समिति की तरफ से लाल रंग की विशेष ड्रेस दी जाती थी.
लड़कियां उस ड्रेस में तैयार होकर सत्संग में जाती थी और मदहोश होकर डांस करती थी. महिलाओं ने बताया कि उनको सूरजपाल के चश्मे में भगवान का रूप दिखाता था और वो केवल सत्संग के दौरान ही चश्मा पहनते थे. इतना ही नहीं सत्संग में जाने वाली महिलाओं ने कई ऐसे खुलासे किए, जिसके बारे में वो कमरे पर बताने से भी हिचकिचाती हुई नजर आई.
'लड़कियां मानती थी बाबा को अपना पति'
सूरजपाल के सत्संग में जाने वाली एक महिला ने बताया कि सूरजपाल के आसपास हमेशा रहने वाली कुंवारी लड़कियां उनको अपना पति मानती थी और इसी तरह से उनके साथ रहती थी. उनका सम्मान करती थी और उनकी एक आवाज पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती थी. महिला ने बताया कि सूरजपाल के चश्मे में भगवान का स्वरूप लड़कियों को नजर आता था. केवल सूरजपाल सत्संग के दौरान ही चश्मा पहनते थे.
'सत्संग में महिलाओं को देखकर मुस्कुराता था सूरजपाल'
सत्संग में जाने वाली महिला ने बताया कि सूरजपाल को सभी महिलाएं सजी-धजी एक जैसी नजर आती थी. वो सत्संग के दौरान महिलाओं को देखकर मुस्कुराता था. दीक्षा लेने वाली महिलाएं हमेशा सूरजपाल के आसपास रहती थी. जब वो सूरजपाल के आसपास रहती थी, तो उस समय सूरजपाल चश्मा पहनते थे.
'केवल कुंवारी लड़कियों को शिष्य बनाता था सूरजपाल'
सूरजपाल के अनुयायी ने बताया कि बाबा के आश्रम और संस्थान में महिलाओं की अलग-अलग कैटेगरी निर्धारित थी. केवल कुंवारी लड़कियां सूरजपाल की शिष्या होती थी. इसके लिए उनका विशेष दीक्षा लेनी पड़ती थी, जबकि शादीशुदा महिलाओं को सूरजपाल में भोले बाबा नजर आते थे. वो सूरजपाल से दूर रहती थी. सूरजपाल शादीशुदा महिलाओं को अपने पास नहीं आने देता था.
'बाबा को पसंद था लाल रंग'
सूरजपाल के सत्संग में जाने वाली महिला ने बताया कि बाबा को लाल रंग पसंद था. इसलिए कुंवारी लड़कियां लाल जोड़े में तैयार होती थी. जेवरात के अलावा श्रृंगार करके वो बाबा के पास सत्संग में जाति और उसके आसपास नाचती थी. सत्संग समिति की तरफ से कुमारी लड़कियों को यह विशेष ड्रेस दी जाती थी. नाचने के बाद लड़कियां ड्रेस चेंज कर लेती थी. यह सारा काम सत्संग के दौरान ही चलता रहता था.
'लड़कियों के हाथ में थी बाबा की बागडोर'
आश्रम के आसपास क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने बताया कि लड़कियों के हाथ में बाबा के पूरे कामकाज की बागडोर थी. बाबा लड़कियों द्वारा तैयार विशेष नीम के पानी से नहाते थे. उस पानी में गुलाब की पत्तियां, सेंट समेत कई चीज मिलाई जाती थी. इतना ही नहीं लड़कियां ही बाबा को हमेशा खाना खिलाती और उसके इर्द-गिर्द रहती थी.