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कटारिया की जगह लेने वाला होगा राजस्थान में बीजेपी का नया चेहरा? पार्टी किसपर खेलेगी दांव

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया है, जिसके बाद नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो जाएगा. राजस्थान में विधानसभा चुनाव सिर पर है. ऐसे में बीजेपी गुलाब चंद कटारिया की जगह किसे नेता प्रतिपक्ष बनाएगी? वसुंधरा राजे से लेकर सतीश पुनिया और राजेंद्र राठौड़ जैसे कई नेता रेस में हैं.

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वसुंधरा राजे और गुलाब चंद कटारिया
वसुंधरा राजे और गुलाब चंद कटारिया

राजस्थान बीजेपी के दिग्गज नेता गुलाब चंद कटारिया को असम के राज्यपाल बनाए जाने के चलते राज्य के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो गया है. विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है और ऐसे में कटरिया को अचानक नेता प्रतिपक्ष से पूर्वोत्तर के असम का राज्यपाल पद पर शिफ्ट कर दिया गया है. गवर्नर का पदभार संभालते ही कटारिया विधायक और नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देंगे. बीजेपी को जल्द ही नेता प्रतिपक्ष तय करना होगा, लेकिन सवाल यह है कि कटारिया की जगह कौन लेगा?  

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गुलाब चंद कटारिया पांच दशक से सियासत में सड़क से लेकर विधानसभा सदन तक सक्रिय रहे. कटारिया के राजभवन जाने के बाद राजस्थान नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी किसे मिलती है यह अहम माना जा रहा है. माना जा रहा है कि नए नेता प्रतिपक्ष के चेहरे से ही अगले सीएम के तौर पर चेहरे का आंकलन किया जा सकता है. हालांकि, यह कोई फिक्स पैटर्न नहीं है कि नेता प्रतिपक्ष ही सीएम फेस बनता है. इसके अलावा हाईकमान अगर किसी नए चेहरे को नेता प्रतिपक्ष पर लाता है तो यह भी एक संकेत के तौर पर देखा जाएगा.

कटारिया की जगह वसुंधरा राजे लेंगी? 
कटारिया के बाद एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष के तौर पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर सभी की निगाहें आकर टिक गई हैं. नेता प्रतिपक्ष के लिए वसुंधरा के समर्थक भी राजे का नाम आगे कर रहे है, क्योंकि पहले इस पद पर रह चुकी हैं और दो बार सूबे की मुख्यमंत्री भी रही हैं. वसुंधरा राजे आठ बार की विधायक हैं और राजस्थान में बीजेपी की सियासत उन्हीं के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है. चुनाव की बढ़ती सरगर्मियों को देखते हुए वह एक फिर से सक्रिय हैं और राजनीतिक समीकरण जिस तरह से बदले हैं, उसके चलते वसुंधरा राजे बीजेपी की सियासत के केंद्र में आ गई हैं.  

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पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से जिस तरह वसुंधरा की मुलाकातें अच्छे माहौल में हुई हैं, उससे लगता है कि राजे फिर एक बार नेता प्रतिपक्ष पद की मजबूत दावेदारी में आ गई हैं. वसुंधरा को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त कर दिया जाता है तो उनके पास बजट सत्र के दौरान कटारिया की जगह को टेकओवर करने का एक मौक अच्छा है. अगर वसुंधरा राजे सदन में लीडरशिप करती हैं, सरकार को घेरती हैं तो परसेप्शन के मोर्चे पर उन्हें फायदा होगा. 

हालांकि, विपक्ष में रहते हुए अब तक वसुंधरा राजे की विधानसभा सदन में मौजूदगी उतनी प्रभावी नहीं रही है जबकि गुलाब चंद कटारिया सदन में फुल टाइम बैठते रहे हैं. ऐसे में वसुंधरा राजे फिलहाल नेता प्रतिपक्ष की रेस में हैं, लेकिन अभी पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता. चुनावी साल में जिसे भी यह पद दिया जाएगा तो उसके जरिए राजनीतिक मैसेज भी देने की कवायद की जाएगी. 

ये नेता भी प्रतिपक्ष की दौड़ में 
वसुंधरा राजे के अलावा पार्टी के पास विकल्प के तौर पर विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, वासुदेव देवनानी और जोगेश्वर गर्ग का नाम भी शामिल है. इसके अलावा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और पार्टी के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया भी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में आ गए हैं. हालांकि, अगर अनुभव की बात करें, तो पूनिया से राजेंद्र राठौड़ काफी सीनियर हैं. इसीलिए  उपनेता प्रतिपक्ष के पद से राजेंद्र राठौड़ को प्रमोट कर उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है. माना यह भी जा रहा है कि बदले हुए राजनीतिक हालातों में चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है. 

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बता दें कि राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने दो दिन पहले भारी और गलती करते हुए पिछले साल का प्रदेश का बजट सदन में 7-8 मिनट तक पढ़ दिया, तो सदन में हंगामा हुआ. विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप और सीएम के माफी मांगने और आग्रह करने पर गुलाब चंद कटारिया मान गए थे. इसके बाद उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने प्रेस कॉफ्रेंस करके विधानसभा में भी कहा था कि ये तो हमारे नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की सदाशयता थी कि उन्होंने इस साल का बजट पढ़ने दिया, वरना गहलोत को बजट नहीं पढ़ने दिया जाता. सीएम गहलोत को उसके लिए दोबारा से राज्यपाल से समय लेना पड़ता. 

विधानसभा चुनाव की बढ़ती सरगर्मियों के चलते यह बड़ा मौका बीजेपी के हाथ लगा था, जिस पर कांग्रेस सरकार को घेरा जा सकता था. इस मुद्दे पर पूरे देश में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री गहलोत की किरकिरी की जा सकती थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को इस मुद्दे पर गहलोत को घेरा, लेकिन नेता प्रतिपक्ष के माने जाने चलते बीजेपी ने मौका गंवा दिया. इसके बाद अशोक गहलोत ने लोकलुभावन और चुनावी बजट पेश कर वाहवाही लूट ली. ऐसे में बीजेपी कटारिया की जगह अब नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर ऐसे चेहरे को बैठाना चाहती है, जिसके जरिए सदन में सरकार को घेरा जा सके. देखना है कि नए नेता प्रतिपक्ष के लिए किसके चेहरे पर मुहर लगती है? 

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