हर-हर महादेव, अभी तो बर्थडे है ना मेरा, आज मैं खुश रहना चाहता हूँ. हैप्पी बर्थडे तो बोल दो पहले. अरे यार वो प्रसाद होता है ना वो, गांजा जो होता है, वो थोड़ा सा उनको मिला मेरे पास से. वो तो मैनें उन्हें खुद ही बता दिया.
ये बातें आईआईटी बाबा ने जयपुर पुलिस द्वारा हिरासत से छोड़े जाने के बाद कहीं. सोमवार को होटल में हंगामे के बाद जब पुलिस पहुंची तो उनके पास से गांजा भी बरामद हुआ था. थाने से बाहर आने के बाद उन्होंने मीडिया से अलग ही अंदाज में बातचीत की. उन्होंने कहा कि आज तो मेरा हैप्पी बर्थडे है. पहले मुझे हैप्पी बर्थ डे तो बोल दो. उन्होंने गांजे को प्रसाद बता दिया और कहा कि कुंभ में तो पता नहीं कितने लोग पीते हैं, कितनों को गिरफ्तार करोगे.
जब उनसे पूछा गया कि क्यों पुलिस आई थी तो उनका जवाब था कि वो पता नहीं क्यों आए? किसी ने ऐसे बोल दिया की बाबा जी आत्महत्या कर रहे हैं. क्या अजीब से केस का बहाना लेके आए वो. मैंने उनको बोला की यार अब ये प्रसाद है. कुंभ में तो इतने सारे लोग पनीर पीते है फिर सबको गिरफ्तार करोगे क्या? फिर मतलब ये तो अंडरस्टुड ही होता है ना भारत के अंदर.
बेल बॉन्ड भरने के बाद मिली जमानत
जयपुर में जब बाबा को हिरासत में लिया गया तो उनके पास से बरामद गांजा बेहद कम मात्रा में था. लिहाजा बेल बॉन्ड भरने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया. उनके खिलाफ NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.
जितनी मात्रा, उतनी कड़ी सजा
भारत में नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट, 1985 नशीले पदार्थों के नियंत्रण और रोकथाम के लिए बनाया गया है. यह कानून ड्रग्स के प्रोडक्शन, बिक्री, खरीद, ट्रांसपोर्ट, इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट और इस्तेमाल को नियंत्रित करता है. एक्ट की धारा 2(iii)(b) के तहत कैनेबिस में गांजा भी शामिल है. NDPS एक्ट की धारा 20 में गांजे से जुड़े अपराधों की सजा तय की गई है. यह सजा गांजे की मात्रा के आधार पर अलग-अलग होती है.
-छोटी मात्रा (1 किलो तक)- 1 साल तक की जेल या 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों.
-1 किलो से 20 किलो तक- 10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना.
-20 किलो या उससे अधिक (कमर्शियल मात्रा)- 10 से 20 साल तक की जेल और 1 लाख से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना.
अधिक मात्रा होने पर कठिन हो जाती है जमानत
अगर किसी व्यक्ति के पास कम मात्रा में गांजा मिलता है, तो उसे जमानत मिलने की संभावना अधिक होती है. एक्ट की धारा 37 में जमानत देने के लिए कठोर शर्तें रखी गई हैं. हालांकि कमर्शियल मात्रा या गंभीर मामलों में जमानत की प्रक्रिया कठिन हो जाती है. यह नियम धारा 19, 24 और 27A के तहत आने वाले मामलों पर भी लागू होता है.