जब भी हम कागज की बर्बादी देखते हैं तो एक बार ये जरूर सोचते हैं कि इसे बनाने में कितने पेड़ काटे गए होंगें. आज दुनियाभर में 40% पेड़ केवल कागज बनाने के लिए काटे जाते हैं. यही वजह है कि विश्व में पेड़ों की कटाई के कारण पर्यावरण की समस्या बद से बदतर होती जा रही है.
ऐसे में राजस्थान के जयपुर की एक बेटी ने पिता के साथ मिलकर एक ऐसा नवाचार किया है, जिसके बाद कागज को बनाने के लिए पेड़ों की नहीं बल्कि गाय का गोबर ही काफी है. पिता-बेटी की जोड़ी ने गाय के गोबर से ही शादी कार्ड, लिफाफा, डायरी सहित 100 प्रकार के उत्पाद बना दिए, जिसे देख हर कोई दंग रह जाए.
गोबर से शादी कार्ड बनाने वाले भीमराज शर्मा और जागृति शर्मा किसानों को गाय के गोबर खरीदते हैं. बदले में 1 किलो गोबर के 10 रुपये देते हैं. इस गोबर से रोजाना 3 हजार शीट कागज का उत्पादन होता है. इससे कई तरह के प्रोडेक्ट बनाए जाते हैं.
भीमराज शर्मा के अनुसार, शादी के कार्ड के कागज में गौमाता का गोबर और गोमूत्र मिश्रित है. यह पूर्ण रूप से रीसायकल योग्य है. इससे प्रकृति को 1% भी नुकसान की संभावना नहीं है. यही नहीं गोबर के कार्ड में एक और बहुत ही अनोखा इनोवेशन किया है. इसमें वनस्पतियों के बीज भी कई कागजों में डाले गए हैं.
'2016 में गोबर से पेपर बनाना शुरू किया'
इससे इस पेपर को काम में लेने के बाद यदि फेंक भी दिया जाएं तो इसमें मिश्रित बीज जैसे तुलसी, गेंदा व अन्य फूल और वनस्पतियों के पौधे उग पाएंगे. भीमराज शर्मा ने बताया कि पेपर प्रिंटिंग का पुराना अनुभव था तो 2016 में गौकृति की नींव रखी. गोबर से पेपर बनाना शुरू किया. हम पहली बार तब आश्चर्यचकित हुए जब गोबर से बने कागज से हम एक अद्भुत आकृति विकसित कर पाए.
यह बाजार में मिलने वाले कागज उत्पादों से किसी भी प्रकार से कम नहीं थी. गौमाता के गोबर से निर्मित कागज से भविष्य में बड़े उद्योग विकसित कर गौमाता को स्वावलंबी बना जा सकता है. बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा को बचाया भी जा सकता है. उन्होंने बताया कि गौकृति फर्म के जरिए गोबर को वेल्यू चेन कर प्रकृति और गौमाता दोनों का ही संरक्षण किया जा रहा है.
'एक दिन आइडिया आया कि क्यों न गोबर से कागज बनाया जाए'
जागृति शर्मा ने बताया कि अमूमन शादी के कार्ड को पढ़ने के बाद फेंक दिया जाता है. इसे देखकर मन दुखी होता था. एक दिन ऐसा आइडिया आया कि क्यों न गोबर से कागज बनाया जाए. फिर पापा को बताया तो उन्होंने हामी भरी और प्रयोग किया. पहली बार ज्यादा सफल नहीं हुआ. धीरे-धीरे एक के बाद एक प्रयोग किए जो सफल हुए. आज 100 के करीब उत्पाद बना रहे हैं.
इसमें गौकृति के वेडिंग कार्डों को बनाने में 12 तरह के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद कार्ड को फेंकने के बजाय पौधों में विकसित किया जा रहा है. पहले से कार्ड में गोबर होता है जो खाद का काम करता है. इस कारण बीज पहनकर पौधा बन जाता है.
उन्होंने कहा कि अब गाय के गोबर से कागज बनाकर न केवल पेड़ों को बचाया जा रहा है बल्कि गौमाता के गोबर से निर्मित कागज से भविष्य में बड़े उद्योग विकसित कर गौमाता को स्वावलंबी बनाया जा सकता है. इससे गौमाता को उसका महत्व और प्रकृति को संरक्षण मिल पाएगा.