करणी सेना के शीर्ष संस्थापक और राजपूत समाज के कोहिनूर लोकेंद्र सिंह कालवी ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. लंबे समय से लोकेंद्र सिंह कालवी बीमार चल रहे थे. जिसके चलते उनका इलाज जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में चल रहा था. लेकिन देर रात 12:30 बजे हार्टअटैक से उनका निधन हो गया.
राजपूत समाज के मुख्य स्तंभ लोकेन्द्र सिंह कालवी के देवलोक सिधार जाने के बाद मानो समाज पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. आज हर उस शख्स की आंखे नम हैं जिसने कालवी साहब का समाज के लिए संघर्ष और समर्पण का भाव देखा हो. लोकेन्द्र सिंह कालवी के निधन के बाद करणी सेना के कार्यकर्ता देर रात ही एसएमएस अस्पताल में पहुंचना शुरू हो गए थे. जिसके बाद अलसुबह उनके शव को नागौर जिले के पैतृक गांव कालवी लेकर गए. जहां दोपहर 2:15 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. लेकिन उससे पहले तमाम लोग उन्हें आखिरी श्रद्धांजलि देंगे.
'राजनेता बाद में, राजपूत पहले'
बता दें कि राजस्थान के नागौर जिले के कालवी ग्राम के रहने वाले लोकेंद्र सिंह कालवी कालवी के पिता कल्याण सिंह कालवी राजस्थान और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. सती आंदोलन में सक्रिय रहे कालवी मानते थे कि वो राजनेता बाद में हैं, राजपूत पहले. कमोबेश उसी अंदाज में लोकेन्द्र सिंह कालवी भी सक्रिय रहे. कालवी के बीजेपी, कांग्रेस और जनता दल में कई बड़े लोगों के साथ अच्छे संबंध रहे.
2006 में करनी सेना की नींव रखी
लोकेन्द्र सिंह कालवी ने जगतजननी करणी माता के नाम से सन 2006 में करणी सेना की नींव रखी. सन 2008 में करणी सेना के विरोध के कारण फिल्म जोधा-अकबर राजस्थान में रिलीज नहीं हो पाई थी. यहीं नहीं, करणी सेना ने 2009 में सलमान खान की फिल्म 'वीर' का भी विरोध किया था. सेना का दावा था कि फिल्म के जरिए राजपूतों को गलत तरीके से पेश किया गया है. यहां तक कि करणी सेना ने टीवी पर प्रसारित होने वाले ऐतिहासिक टीवी सीरियल्स का भी विरोध किया था. उन्होंने साल 2018 में संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' का भी कड़ा विरोध किया था. 'पद्मावत' के समय हुई कंट्रोवर्सी से तो हर कोई वाकिफ है ही. इससे करणी सेना के बारे में पूरा देश जानने लगा था.