कोचिंग हब कोटा में आए दिन स्टूडेंट्स के सुसाइड की खबरें आती रहती हैं. कभी पढ़ाई तो कभी घरवालों के दबाव के कारण यहां छात्र आए दिन आत्महत्या जैसा कदम उठाते रहते हैं. खुदकुशी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अब कोटा प्रशासन इसके खिलाफ बड़ा कदम उठाने जा रहा है.
छात्रों को सुसाइड से रोकने के लिए अब कोटा प्रशासन हर 15 दिनों में उनका साइकोलॉजिकल टेस्ट करेगा. ताकि, अगर किसी छात्र के दिमाग में सुसाइड जैसा आत्मघाती कदम उठाने का ख्याल आ रहा हो तो पहले ही इसका पता लगाकर उसे रोका जा सके. जांच के बाद जिन छात्रों में इस तरह के लक्षण पाए जाएंगे, उन्हें परामर्श भी दिया जाएगा.
अपनी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कोटा के कलेक्टर ओपी बुनकर ने कोचिंग संस्थानों, छात्रावासों और कई प्रतिनिधियों के साथ जिला स्तरीय बैठक की. मीटिंग के बाद कलेक्टर ने कहा कि प्रशासन अब हर पखवाड़े (15 दिन) को कोचिंग छात्रों का मनोवैज्ञानिक परीक्षण करने जा रहा है. यह जांच कोचिंग संस्थानों के अलावा हॉस्टल और पीजी में भी की जाएगी.
एसपी ने भी दिया अहम सुझाव
कलेक्टर ओपी बुनकर ने बताया कि छात्रों की जांच करने का उद्देश्य उनकी मनोवैज्ञानिक स्थिति का पता लगाना है. इस बैठक में कोटा शहर के एसपी शरद चौधरी ने उन अभिभावकों का एक प्रतिनिधिमंडल बनाने की सिफारिश की, जिनके बच्चे कोटा में पढ़ रहे हैं. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि प्रस्तावित प्रतिनिधिमंडल अपने बच्चों के संबंध में जिला प्रशासन के संपर्क में रहे. एसपी ने कहा कि यह छात्रों के बीच आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में छात्रों के माता-पिता की भागीदारी भी सुनिश्चित करेगा.
सख्ती से लागू करने होंगे नियम
जिला कलेक्टर ने अधिकारियों को कोचिंग संस्थानों, छात्रावासों और पीजी के लिए दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने के भी निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि सुनिश्चित करें कि प्रत्येक छात्रावास और पीजी के कमरों में सुरक्षा उपकरण लगे हों, ताकि फांसी से होने वाली मौतों को रोका जा सके. कलेक्टर ने कोचिंग संस्थानों में रविवार की छुट्टी अनिवार्य करने और उस दिन कोई परीक्षा नहीं होने को भी कहा. विशेष रूप से, इस साल जनवरी से अब तक कोचिंग हब में कोचिंग छात्रों द्वारा आत्महत्या के 19 मामले सामने आए हैं, जिनमें इस महीने के पहले 10 दिनों में 3 मामले शामिल हैं.
ये सुझाव आए
- सभी कोचिंग संस्थानों में विद्यार्थियों को प्रवेश देने से पूर्व परीक्षा आयोजित की जाए, उसके परिणाम के आधार पर ही प्रवेश दिया जाए.
- विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को कोचिंग में प्रवेश के समय मेडिकल एवं इंजिनियरिंग के अलावा विकल्पों की जानकारी दी जाए.
- हॉस्टलों में एवं पीजी में पंखों को लटकाने के लिए हैगिंग डिवाइस का उपयोग अनिवार्य किया जाए. भविष्य में किसी भी प्रकरणों में पुलिस इसकी भी जांच करेगी.
- हॉस्टल में रहने वाले विद्यार्थियों की रोज मैनेजर या वार्डन जांच करें. कोई समस्या या स्वभाव परिवर्तन होने पर इसकी सूचना अभिभवकों और पुलिस को दी जाए.
- कोचिंग संस्थानों में काउंसलर प्रक्रिया को प्रभावी एवं अनिवार्य किया जाए.
- बहुमंजिला हॉस्टलों की बालकनी में लोहे की ग्रिल लगवाई जाए.