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राजस्थान: मंत्री-विधायकों ने बेटे-बेटियों को बनवाया डेलिगेट, कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में डालेंगे वोट

राजस्थान के उदयपुर में चले चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस ने डिक्लेरेशन में परिवारवाद से दूरी बनाने की बात कही थी लेकिन कुछ ही महीने बाद उसी राज्य में पार्टी परिवारवाद के भंवर में फंसती दिख रही है. कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले विधानसभा स्तर पर दो डेलिगेट्स बनाए जाने थे जो पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए वोट करेंगे. सीएम गहलोत समेत कई मंत्री और विधायक एक तो खुद ही पीसीसी के सदस्य बन गए और दूसरा अपने बेटे-बेटी-पत्नी या किसी रिश्तेदार को डेलिगेट बनवा दिया. 

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राहुल गांधी के साथ अशोक गहलोत और सचिन पायलट (फाइल फोटोः पीटीआई)
राहुल गांधी के साथ अशोक गहलोत और सचिन पायलट (फाइल फोटोः पीटीआई)

कांग्रेस परिवारवाद के मसले पर सियासी गलियारों में घिरती रही है. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) परिवारवाद के मसले पर कांग्रेस को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ती. कांग्रेस भी इसे बखूबी समझती है. कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर के बाद डिक्लरेशन में भी पार्टी की ओर से परिवारवाद से दूरी बनाने की बात कही गई थी लेकिन राजस्थान कांग्रेस के नेता ही परिवारवाद के जंजाल से बाहर नहीं निकल पा रहे.

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राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों में नेताओं के परिवार वालों की भरमार है. कांग्रेस का अध्यक्ष चुनने के लिए होने वाले चुनाव में यही सदस्य वोट डालेंगें. हर विधानसभा से दो डेलिगेट्स बनाने थे. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस के नेताओं ने एक तो खुद को डेलिगेट्स बना लिया और दूसरा अपने परिवार के किसी सदस्य या किसी रिश्तेदार को बना दिया.

राजस्थान कांग्रेस के कई नेताओं ने अपने बेटे और रिश्तेदारों को पीसीसी सदस्य बनाकर सक्रिय राजनीति में उनकी लॉन्चिंग कर दी है. इनमें खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ उनके बेटे वैभव गहलोत को भी पीसीसी सदस्य बनाया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा राजस्थान कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के बेटे या पत्नी भी पीसीसी सदस्य बनाए गए हैं.

कांग्रेस विधायक नरेंद्र बुडानिया के बेटे अमित बुडानिया तारानगर से सदस्य बनाए गए हैं. विधायक महेंद्र चौधरी और उनकी पत्नी सुनीता चौधरी भी सदस्य बनाए गए हैं. रघु शर्मा के बेटे सागर शर्मा, विधायक दीपेंद्र सिंह और उनके बेटे बालेंदु सिंह, मंत्री मुरारीलाल मीणा और उनकी पत्नी सविता मीणा, सचिन पायलट और रमा पायलट भी पीसीसी के सदस्य बने हैं.

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विधायक दिव्या मदेरणा और लीला मदेरणा, बद्री जाखड़ और उनकी बेटी मुन्नी गोदारा बाबूलाल बैरवा के बेटे अवधेश बैरवा भी पीसीसी के सदस्य बनाए गए हैं. आलोक बेनीवाल की पत्नी सविता बेनीवाल, मंत्री लालचंद कटारिया के भाई की पत्नी रेखा कटारिया, मंत्री राजेंद्र यादव के बेटे मधुर यादव, विधायक मीना कंवर के पति उम्मेद सिंह भी पीसीसी के सदस्य बन गए हैं.

अशोक गहलोत सरकार के मंत्री और विधायक भी इस होड़ में पीछे नहीं हैं. गहलोत सरकार की मंत्री जाहिदा खान के पति जलिस खान और बेटे को पीसीसी सदस्य बनाया गया है. निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर के बेटे विकास नागर, निर्दलीय विधायक राजकुमार गौड़ और उनके बेटे विकास गौड़ के साथ ही गिरिजा व्यास के भाई गोपाल शर्मा को भी पीसीसी सदस्य बनाया गया है.

राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित

कांग्रेस का नया चुनने के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू होने की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, राजस्थान में सियासी गहमागहमी बढ़ती जा रही है. राजस्थान में अध्यक्ष चुनाव से पहले दो प्रस्ताव पारित किए गए हैं. प्रताप सिंह खाचरियावास के मुताबिक ये प्रस्ताव पारित किया गया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ ही जो भी निर्णय लेंगे, सभी उसका पालन करेंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव भी पेश किया जिसे पारित कर दिया गया.

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17 अक्टूबर को होना है मतदान

कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए करीब 21 साल बाद चुनाव होने जा रहे हैं. कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनने के लिए घोषित चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक नामांकन की प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू होगी. मतदान 17 अक्टूबर को होगा और कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन होगा, ये तस्वीर 19 अक्टूबर को चुनाव नतीजों के ऐलान के साथ साफ हो जाएगी. गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष का पद आजादी के बाद के 75 साल में से 40 साल नेहरू-गांधी परिवार के पास ही रहा. 35 साल ही कांग्रेस अध्यक्ष पद पर गैर गांधी काबिज रहे हैं.

 

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