मथुरा से उज्जैन के महर्षि सांदीपनि आश्रम तक श्रीकृष्ण गमन पथ का निर्माण किया जाएगा. इसका ऐलान जन्माष्टमी के मौके पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किया है. उन्होंने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार संयुक्त रूप से मिलकर श्रीकृष्ण गमन पथ को विकसित करेंगी. इस पथ के जरिए श्रीकृष्ण से जुड़े सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों को बढ़ावा मिलेगा.
उज्जैन में मीडिया को संबोधित करते हुए सीएम भजनलाल ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने महर्षि सांदीपनि के आश्रम (उज्जैन) में शिक्षा ग्रहण की थी. मथुरा से सांदीपनि आश्रम तक जाने वाले मार्ग को राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की सरकार संयुक्त रूप से श्रीकृष्ण गमन पथ के रूप में विकसित करेंगी. इस ‘श्रीकृष्ण गमन पथ’ पर श्री कृष्ण के जीवन काल से जुड़े तथा पौराणिक आस्था की जगहों को चिन्हित कर उनका विकास किया जाएगा.
मैं जन्मस्थलि ब्रजभूमि से आया हूं: सीएम
उन्होंने यह भी कहा कि “मैं कृष्ण की जन्मस्थली ब्रजभूमि से उनकी शिक्षा भूमि पर आया हूं. यह कदम मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को और मजबूत करेगा. सीएम सोमवार सुबह मथुरा के गोवर्धन स्थित मुखारविंद मंदिर भी पहुंचे थे, जहां उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना कर दर्शन किए.
11 वर्ष की आयु में श्रीकृष्ण पहुंचे थे आश्रम
बताया जाता है कि श्रीकृष्ण मथुरा से राजस्थान के भरतपुर, कोटा, झालावाड़ होते हुए छोटे-छोटे गांवों के रास्ते उज्जैन स्थिति महर्षि सांदीपनि के आश्रम पहुंचे थे. जहां वह लगभग 64 दिनों तक रुके थे.
64 दिन में सीखी 64 विधाएं!
आपको बता दें कि महर्षि सांदीपनि के आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी, जहां उन्होंने 4 दिन में 4 वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 16 दिन में 16 विधा, 18 दिन में 18 पुराण समेत सिर्फ 64 दिनों में ही 64 अलग-अलग विधाओं को सीख लिया था.