राजस्थान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रिछपाल मिर्धा के बेटे एवं नागौर की डेगाना सीट से विधायक विजयपाल मिर्धा के ड्राइवर ताराचंद के 17 महीने से लापता होने की सीबीआई जांच की गुहार राजस्थान हाईकोर्ट में लगाने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता देवाराम को छूट दी कि वो सीबीआई जांच की अपनी अर्जी राजस्थान हाईकोर्ट में दाखिल करे. इस आदेश के बाद चुनाव से पहले विधायक मिर्धा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
लापता ड्राइवर ताराचंद के पिता देवाराम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि विधायक राज्य में सत्तारूढ़ दल के हैं, लिहाजा राजनीतिक दबाव के कारण पुलिस ने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच नहीं की. दबाव इस कदर था कि इस संवेदनशील मामले में प्रथम दृष्टया मुख्य संदिग्ध विधायक विजयपाल मिर्धा से पूछताछ तक नहीं की.
दरअसल, डेगाना विधायक विजय पाल मिर्धा का ड्राइवर ताराचंद 12 मई 2022 को विधायक के परिवार को छोड़ने दिल्ली गया था. मगर वो आज तक वापस नहीं लौटा. ताराचंद के पिता देवाराम का आरोप है कि साहब सब जानते हैं. मगर, सबको गुमराह कर रहे हैं.
इस मामले में विधायक का कहना है कि उनके ड्राइवर ताराचंद के पिता किसी वहम का शिकार हैं. ताराचंद दिल्ली गया था लेकिन लौटते समय कहीं लापता हो गया. अब इसमें भला उनकी क्या जिम्मेदारी बनती है? ताराचंद कोई बच्चा तो है नहीं जो कोई उसे उठाकर या भगाकर ले जाएगा.
विधायक ने आगे कहा, मैंने अपने स्तर पर उसे ढूंढने की काफी कोशिश की. मैंने ही ताराचंद के पिता को कहकर गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी. बताते चलें कि पिछले 17 महीने से ड्राइवर की रहस्यमय ढंग से गुमशुदगी का मामला राजस्थान की राजनीति में छाया रहा. सामाजिक और राजनीतिक तौर पर मामले में विजयपाल की भूमिका की जांच की मांग पर सड़कों पर आंदोलन हुए.
अब गायब हुए ड्राइवर ताराचंद के पिता ने न्याय के लिए देश की सर्वोच्च अदालत में गुहार लगाई है, तब मिर्धा परिवार की राजनीतिक मुश्किलें बढ़ सकती हैं. चर्चा ये भी है कि मिर्धा चुनाव के इस माहौल में डाल बदलने की भी योजना बना रहे हैं. चर्चा तो यहां तक गर्म है कि मिर्धा बीजेपी में भी जा सकते हैं.