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सचिन पायलट के सियासी कद को लेकर अटकलें तेज, कांग्रेस आलाकमान के फैसले से तय होगा भविष्य

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. माना जा रहा है कि सचिन पायलट पार्टी हाईकमान के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वो कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं. हालांकि, उनका पार्टी छोड़ने की कोई प्लान नहीं है.

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कांग्रेस नेता सचिन पायलट (फाइल फोटो).
कांग्रेस नेता सचिन पायलट (फाइल फोटो).

कांग्रेस नेता सचिन पायलट के अगले कदम पर अटकलें तेज हो गई हैं. इस बीच, उनके करीबी सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि वो अपनी मांगों पर अडिग हैं और पार्टी आलाकमान के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, उनका पार्टी छोड़ने या तोड़ना का कोई इरादा नहीं है. यानी पायलट का सियासी भविष्य हाईकमान के फैसले पर निर्भर करेगा और अगामी विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका भी तय करेगा.

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बता दें कि पायलट ने पिछली बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. उन्होंने वसुंधरा सरकार के दौरान कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. इसे लेकर वो एक दिन के मौन व्रत पर धरना देने बैठ गए थे. पायलट के धरने से अशोक गहलोत सरकार सवालों के घेरे में आ गई थी. हालांकि, बाद में पार्टी हाईकमान ने दोनों नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक की और सुलह होने का दावा किया था.

'कथित भ्रष्टाचार पर कार्रवाई चाहते हैं सचिन'

हाल ही में कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पायलट नई पार्टी बनाने की घोषणा कर सकते हैं. उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि वो मांगों को लेकर अडिग हैं और वह चाहते हैं कि अशोक गहलोत सरकार पिछले भाजपा शासन के दौरान कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करे और सरकारी भर्ती परीक्षा से जुड़े पेपर लीक होने जैसे मामलों पर गंभीरता से कदम उठाए.

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'...तो मुख्य मुद्दों पर नहीं हुआ समाधान'

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पायलट ने पिछले हफ्ते पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ बैठक की थी, लेकिन राजस्थान के दोनों दिग्गजों के बीच 'मुख्य मुद्दों' का कोई समाधान नहीं हुआ. 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष देखा जा रहा है. जबकि पार्टी राज्य में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों के बीच विवाद शांत करने की कोशिश कर रही है.

'जल्द भविष्य के बारे में संकेत दे सकते हैं पायलट'

अब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पायलट 11 जून को दौसा में अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर अपने भविष्य के बारे में स्पष्ट संकेत दे सकते हैं. उनके एक करीबी सूत्र ने कहा, वह (पायलट) पार्टी नेतृत्व के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, गेंद उनके पाले में है.

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'मांगों को पूरा करने पर अड़े हैं सचिन'

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करीबी नेताओं ने कहा कि वो (पायलट) एक 'सिद्धांतपूर्ण पॉजिशन' में है और यह किसी पदों को लेकर नहीं है. भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मुद्दे उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता हैं. इसके अलावा, पायलट की दो अन्य मांगों में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) का पुनर्गठन और इसमें नई नियुक्तियां करना और पेपर लीक के बाद सरकारी भर्ती परीक्षा रद्द होने से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा शामिल है.

'नई पार्टी की अटकलों में दम नहीं'

फिलहाल, दौसा में राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इसकी देखरेख पायलट के करीबी माने जाने वाले कृषि विपणन राज्य मंत्री मुरारी लाल मीणा कर रहे हैं. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, मुझे नहीं पता कि नई पार्टी की अटकलें कहां से शुरू हुईं. मुझे इस तरह की अटकलों में कोई दम नहीं दिखता. मैं पार्टी की विचारधारा के अनुसार काम करता हूं. कांग्रेस ने पिछले गुरुवार को कहा था कि पार्टी सर्वोच्च है और जीत के लिए एकजुट होकर राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.

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'दिल्ली में दोनों नेताओं से हाईकमान ने बात की थी'

सूत्रों ने बताया कि तनाव को कम करने के लिए खड़गे और राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह गहलोत और पायलट के साथ अलग-अलग मैराथन चर्चा की थी. बाद में उन्होंने खड़गे के आवास पर तस्वीरें खिंचवाईं थीं. बैठकों के बाद पार्टी ने कहा था कि गहलोत और पायलट आगामी विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने के लिए सहमत हुए हैं और सभी मुद्दों को हल करने के लिए पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया है.

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'हाईकमान पर छोड़ दिया था निर्णय'

वहीं, इस हफ्ते की शुरुआत में बैठक में कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा था, 'दोनों नेताओं अशोक जी और सचिन जी ने इन चीजों के प्रस्ताव पर सहमति जताई है. यह पूछे जाने पर कि वह किस प्रस्ताव पर बात कर रहे हैं, तब वेणुगोपाल ने कहा था, दोनों ने इसे (पार्टी) आलाकमान पर छोड़ दिया है.

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