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सचिन पायलट पर टिकीं सबकी निगाहें, दौसा में पिता की पुण्यतिथि पर कर सकते हैं बड़ा ऐलान

कांग्रेस नेता सचिन पायलट आज दौसा में अपने पिता राजेश पायलट को श्रद्धांजलि देंगे. पुण्यतिथि पर बड़ा कार्यक्रम रखा गया है. पिछले कुछ दिनों से सचिन को लेकर अटकलें चल रही हैं. माना जा रहा है कि वे आज अपने राजनीतिक भविष्य पर कुछ महत्वपूर्ण घोषणा कर सकते हैं. उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि वो मांगों को लेकर अडिग हैं.

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कांग्रेस नेता सचिन पायलट हाल ही में राजस्थान में 'जन संघर्ष यात्रा' निकाल चुके हैं. (फोटो-पीटीआई)
कांग्रेस नेता सचिन पायलट हाल ही में राजस्थान में 'जन संघर्ष यात्रा' निकाल चुके हैं. (फोटो-पीटीआई)

राजस्थान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट के सियासी भविष्य को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. सभी की निगाहें असंतुष्ट चल रहे सचिन के अगले कदम पर टिकी हैं. रविवार को दौसा में उनके पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर बड़ा कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें बड़ी संख्या में भीड़ आने की संभावना है. माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम के जरिए सचिन कोई बड़ा संकेत दे सकते हैं. वहीं, शनिवार को कांग्रेस ने भरोसा जताया कि पार्टी के भीतर चल रही कलह का ‘सकारात्मक समाधान’ निकाला जाएगा. 

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दरअसल, कांग्रेस पहले ही इन खबरों को खारिज कर चुकी है कि पायलट नई पार्टी बनाएंगे. संगठन का कहना है कि वो एकजुट होकर अगला राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. बता दें कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी रार किसी से छिपी नहीं है. पायलट ने पिछली बीजेपी सरकार के कामों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी. इसे लेकर उन्होंने एक दिन का मौन व्रत भी रखा था. बाद में हाईकमान ने दोनों नेताओं को बुलाकर समझौते के फॉर्मूले पर बातचीत की थी.

'पार्टी हाईकमान ने कहा, अफवाहों पर ध्यान ना दें'

राजस्थान के घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, हमारे पार्टी अध्यक्ष और हम निश्चित रूप से महसूस करते हैं कि इस मुद्दे का सकारात्मक समाधान निकलेगा. कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने शुक्रवार को इन अफवाहों को खारिज कर दिया कि पायलट अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर अपनी पार्टी की घोषणा कर सकते हैं. उन्होंने कहा, कांग्रेस राजस्थान विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ेगी. वे उनके (सचिन) संपर्क में हैं.  

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'किसने कह दिया पायलट पार्टी से बाहर जा रहे हैं?', क्यों बोले कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल

'किसने कह दिया कि पार्टी से बाहर जा रहे?'

वेणुगोपाल ने कहा, मैं अफवाहों पर विश्वास नहीं करता. वास्तविकता यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ चर्चा की और उसके बाद हमने कहा कि हम साथ चलेंगे. यह कांग्रेस पार्टी की स्थिति है. उन्होंने उल्टे सवाल पूछ लिया कि आपसे किसने कह दिया कि वे (सचिन पायलट) पार्टी से बाहर जा रहे हैं? कहा, ये सब काल्पनिक है. 

पायलट द्वारा नई पार्टी बनाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मेरी जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने मीडिया से ऐसी अफवाहों पर विश्वास ना करने के लिए कहा है.

'पिता की पुण्यतिथि पर दो दशकों से कार्यक्रम'

कांग्रेस हाईकमान की यह टिप्पणी उन अटकलों के बीच आई है कि पायलट रविवार को दौसा में अपने पिता की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में नई पार्टी या अपनी भविष्य की योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं. बताते चलें कि सचिन अपने पिता की पुण्यतिथि पर पिछले दो दशकों से श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं.

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'हाईकमान ने गहलोत और पायलट से की थी चर्चा'

कांग्रेस ने पिछले हफ्ते कहा था कि पार्टी सर्वोच्च है और जीत के लिए एकजुट होकर राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. सूत्रों ने बताया कि तनाव को कम करने के लिए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह गहलोत और पायलट के साथ अलग-अलग मैराथन चर्चा की थी. बाद में उन्होंने यहां खड़गे के आवास पर तस्वीरें खिंचवाईं.

बैठकों के बाद पार्टी ने कहा था कि गहलोत और पायलट आगामी विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने के लिए सहमत हुए हैं और सभी मुद्दों को हल करने के लिए पार्टी हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया है.

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'पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया समझौते का फॉर्मूला'

इस हफ्ते की शुरुआत में बैठक के बाद केसी वेणुगोपाल ने कहा था, दोनों नेताओं अशोक जी और सचिन जी ने प्रस्ताव पर सहमति जताई है. यह पूछे जाने पर कि वह किस प्रस्ताव पर बात कर रहे हैं, वेणुगोपाल ने कहा, दोनों ने इसे (पार्टी) आलाकमान पर छोड़ दिया है.

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'2018 से चल रहा सत्ता को लेकर संघर्ष'

बता दें कि 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं. 2020 में पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी और कुछ विधायकों को लेकर राजस्थान से बाहर चले गए थे. जिसके बाद उन्हें पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री के पदों से हटा दिया गया था.

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'जब जयपुर में गहलोत गुट ने बगावत कर दी...'

पिछले साल राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की कवायद भी फेल हो गई थी. आलाकमान ने जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई थी. उससे पहले ही गहलोत गुट के विधायक एकजुट हो गए और सीएलपी बैठक नहीं होने दी थी. उन्होंने सामूहिक इस्तीफे का ऐलान कर दिया था, जिसके बाद नाराज हाईकमान ने गहलोत को तलब कर लिया था.

पिछले महीने ही पायलट ने पार्टी लाइन से अलग जाकर पिछली वसुंधरा राजे सरकार के दौरान कथित भ्रष्टाचार पर गहलोत की 'निष्क्रियता' पर निशाना साधते हुए एक दिन का अनशन किया था.

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