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राजस्थान: भगवान राम और भरत का उदाहरण देकर वसुंधरा ने पायलट और गहलोत पर किया हमला

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच छिड़ी रार पर एक बार फिर बीजेपी ने चुटकी ली है. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने गहलोत पर निशाना साधा और कहा कि आज राजस्थान में दो लोगों में सिंहासन के लिए जो संघर्ष हो रहा है, वह देखिए. कुर्सी के लिए किस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.

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पूर्व सीएम वसुंधरा राजे. (फाइल फोटो)
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे. (फाइल फोटो)

राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने सचिन पायलट विवाद पर एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है. वसुंधरा ने भगवान श्रीराम और उनके पिता दशरथ का उदाहरण दिया और कहा, एक समय था जब पिता के आदेश पर भगवान श्री राम सिंहासन छोड़कर 14 वर्ष तक वनवास गए. भरत को सिंहासन पर बैठाने की भी तैयारी हुई, लेकिन उन्होंने त्याग की मिसाल पेश की. 

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पूर्व सीएम ने कहा, आज कुर्सी के लिए किस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. एक-दूसरे पर तीर चलाये जा रहे हैं. लोगों के मुख में राम, बगल में छुरी है.

वसुंधरा ने आगे कहा, भरत ने बड़े भाई राम की चरण पादुकाओं को सिंहासन पर रखकर ही शासन चलाया, लेकिन खुद सिंहासन से दूर रहे. एक उस समय का दोनों भाइयों का त्याग देखिए और आज राजस्थान में दो लोगों में सिंहासन के लिए जो संघर्ष हो रहा है, वह देखिए.

वसुंधरा पर कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं सचिन पायलट

बता दें कि राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष चल रहा है. कुछ समय पहले ये घमासान उस वक्त और तेज हो गया था, जब पायलट ने वसुंधरा राजे सरकार में कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर एक दिन का अनशन किया था. इसके बाद सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधे तौर पर नाम लेकर अशोक गहलोत पर निशाना साधा था. इतना ही नहीं उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर 5 दिन की पदयात्रा भी की थी. इसे उनके शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी माना गया था.

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पायलट ने 15 दिन का दिया था अल्टीमेटम

पदयात्रा के दौरान सचिन पायलट ने 3 मांगों को रखा था और 15 दिन यानी 31 मई तक पूरी करने का अल्टीमेटम दिया था. पायलट बुधवार को अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक के दौरे पर पहुंचे थे. यहां सचिन पायलट ने संकेत दिया कि उन्होंने अपनी मांगों पर गहलोत सरकार को जो अल्टीमेटम दिया था, उसका बुधवार को आखिरी दिन था. पायलट ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, देखते हैं कल क्या होता है.

सचिन पायलट ने रखी थीं ये 3 मांगें 

- वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच हो.
- पेपर लीक से आर्थिक नुकसान झेलने वाले बच्चों को उचित मुआवजा मिले.
- सरकारी नौकरियों में भर्ती की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, RPSC को भंग कर पुनर्गठित किया जाए. 

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'आलाकमान ने किया था सुलह का दावा'

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट से सोमवार को मुलाकात की थी. इस बैठक के बाद पार्टी ने दावा किया था कि दोनों नेता साथ काम करने के लिए तैयार हैं. हालांकि, इसके दो दिन बाद ही टोंक पहुंचे पायलट ने संकेत दे दिया कि वह अपने रुख पर कायम हैं.

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'...तो कहते हैं मानसिक दिवालियापन है'

एक दिन पहले सचिन पायलट ने अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर फिर गहलोत पर निशाना साधा. सचिन पायलट ने कहा, अगर हम गरीबों की मदद करें तो केंद्र के नेता कहते हैं कि खजाने का दिवाला निकल जाएगा और यहां लोग कहते हैं कि नौजवानों की मदद की तो मानसिक दिवालियापन हो जाएगा. अगर हमने कोई मांग उठाई है तो वो लोगों के लिए है.

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'मैं भाषा की मर्यादा का उल्लंघन नहीं करता'

बता दें कि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि विपक्ष कहता है कि पेपर पीड़ितों को मुआवजा दो. बताओ यह कैसा मानसिक दिवालियापन है. सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे पर भी हमला बोला और कहा, वो मुझसे बड़ी हैं, लेकिन मैंने कभी अपनी भाषा की मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया. मैं तो 365 दिन उनका विरोध करता हूं. खान आवंटित हुई और निरस्त हुई लेकिन खान आवंटित तो हुई थी ना और किसने की?

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