राजस्थान की राजनीति के लिए 'लाल डायरी' की कहानी कोई नई बात नहीं है. लंबे अरसे से नेता लाल डायरियों की कहानियां सुनाते आए हैं, लेकिन अब इस बारे में खुलकर बातें होने लगी हैं. राजस्थान सरकार से बर्खास्त किए जा चुके मंत्री राजेंद्र गुढ़ा तो 'लाल डायरी' में विधायकों के खरीद-फरोख्त का लेखा-जोखा होने की बात तक कह चुके हैं.
एक बार फिर राजस्थान की राजनीति में 'लाल डायरी' ने तूफान खड़ा कर दिया है. विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया है कि लाल डायरी लेकर लिधानसभा पहुंचे बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया. इससे पहले उन्हें मार्शलों के जरिए विधानसभा से बाहर तक निकलवा दिया गया.
क्या है लाल डायरी की कहानी?
राजेंद्र गुढ़ा से हुई बातचीत और मौके पर मौजूद चश्मदीदों के मुताबिक जिस वक्त सचिन पायलट की बगावत की वजह से कांग्रेस की सियासत में बवाल मचा हुआ था, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ के यहां इनकम टैक्स का छापा पड़ा. उस समय धर्मेंद्र राठौड़ सिविल लाइन के सोमदत्त अपार्टमेंट में मौजूद थे. दरअसल, धर्मेंद्र डायरियों में अपनी दिनचार्या लिखते हैं. गुढ़ा का कहना है कि धर्मेंद्र राठौड़ ने पहले पुलिस से मदद मांगी कि किसी तरह से उनकी डायरियों को यहां से निकाला जाए, मगर पुलिस ने ज्यादा मदद नहीं की.
फ्लैट में थे सिर्फ पांच अधिकारी
दावे के मुताबिक पुलिस से बार-बार मदद मांगने पर एक एडिशनल एसपी पहुंचे. उस वक्त इनकम टैक्स के अधिकारी मनोज यादव, अनिल ढाका सिर्फ 5 सुरक्षाकर्मियों के साथ फ्लैट में मौजूद थे. एडिशनल एसपी ने कहा कि हमें पता चला है कि यहां एक विधायक को छुपाकर रखा गया है. हमें तलाशी लेनी है, लेकिन इनकम टैक्स के अधिकारियों ने उन्हें लौटा दिया.
करणी सेना के कार्यकर्ताओं की मौजूदगी
आगे बताया गया कि बाद में राजेंद्र गुढ़ा, धीरज गुर्जर और एक पुलिस अधिकारी को भेजा गया. गुढ़ा के साथ करणी सेना के 30-40 कार्यकर्ता हंगामा करते हुए आए. गुढ़ा उपर गए और कमरा खटखटाया. कमरा जैसे ही खुला लंबे कद के गुढ़ा ने पैर अड़ा दिया. ताकतवर गुढ़ा और धीरज गुर्जर अंदर दाखिल हो गए. धीरज गुर्जर इनकम टैक्स के अधिकारियों से उलझ गए और अंदर मौजूद धर्मेंद राठौड़ के कर्मचारियों ने डायरी के बारे में बता दिया. डायरियों की तस्वीरें खींच-खींच कर अधिकारी उपर वाले अधिकारी को भेज रहे थे.
चाकू से काटी बालकनी की जालियां
बातचीत के मुताबिक गुढ़ा ने उन सारी डायरियों को छीनकर बाहर निकलना चाहा तो देखा कि सामने की तरफ सीआरपीएफ का बड़ा दस्ता सोमदत्त अपार्टमेंट में दाखिल हो गया है. गुढ़ा ने अपने कर्मचारी से पीछे की तरफ आने को कहा और डायरियों को नीचे फेंकने चले गए. बालकनी में जालियां लगी हुई थी. गुढ़ा ने किचन से चाकू लाकर जालियां काटीं और डायरियां फेंक दीं.
CCTV के DVR ले गए पुलिसकर्मी
नीचे उनके कर्मचारी ने डायरियां ले लीं. जब वह नीचे आ रहे थे तो इनकम टैक्स अधिकारियों ने वहां पहुंच चुके सुरक्षाकर्मियों को इस बारे में बताया. तब वहां पर इनकी पिटाई भी हुई. पुलिस अधिकारी CCTV के DVR ले गए. गुढ़ा ने कहा कि हमने वो लाल डारियां जला दी हैं, लेकिन उनके पास कुछ डायरियां मौजूद हैं. गुढ़ा का यह भी दावा है कि उन्होंने जब पूरी कहानी सीएम अशोक गहलोत को सुनाई तो उन्होंने कहा कि तुम्हें तो हॉलीवुड में होना चाहिए था.
अधिकारियों को किसने रोका?
हालांकि, इस एक्शन के बीच एक सवाल यह भी है कि इनकम टैक्स के अधिकारी उस वक्त राजकाज में बाधा का मुकदमा दर्ज करवाना चाह रहे थे तो उन्हें किसने रोका था. इस मामले में इनकम टैक्स के अधिकारियों की पूरी रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने कोई कारर्वाई क्यों नही की? गुढ़ा कहते हैं कि केंद्रीय एजेंसियों को कारर्वाई करनी चाहिए. मैं जेल जाने के लिए तैयार हूं, लेकिन डायरी में जिनके नाम थे, वो भी जेल जाएं.
लाल डायरी में कौन से राज?
गुढ़ा खुलकर कुछ नहीं बता रहे हैं, लेकिन मगर कह रहे हैं कि इसमें विधायकों के लेन-देन का हिसाब है. बीजेपी का हेलिकॉप्टर खाली क्यों गया था और बीजेपी के विधायक अपनी पार्टी के बाड़ेबंदी से क्यों भागे थे उसका भी जिक्र है. राजस्थान क्रिकेट एसोशिएसन के चुनाव का हिसाब-किताब भी है. वो कहते हैं कि चुनाव से पहले सब सामने आ जाएगा.
कांग्रेस का इनकार
वहीं राजस्थान के संसदीय कार्यमंत्री शांतिधारीवाल ने कहा कि ये सब झूठ है. कोई लाल डायरी नहीं है. क्या ये हो सकता है इतने सारे सेक्युरिटी के बीच कोई वहां पहुंच जाए. ये सारी बातें जान बूझकर सनसनी फैलाने के लिए फैलाई जा रही है.
उन्होंने कहा कि गुढा ने जिस नेता धीरज गुर्जर के साथ धर्मेंद्र राठौड़ के फ़्लैट पर जाना बताया उन्होंने इस पर बोलने से मना किया. जबकि धर्मेंद्र राठौड़ से कई बार संपर्क किया मगर फ़ोन नहीं उठा रहे हैं.
कौन हैं धर्मेंद राठौड़?
धर्मेंद्र राठौड़ एक कर्मचारी नेता थे. उनके पिता की मृत्यु के पबाद अनुकंपा पर उन्हें सरकारी नौकरी मिली थी. सीएम गहलोत के पहले कार्यकाल में बड़ा कर्मचारी आंदोलन हुआ था, जिसमें गुढ़ा कर्मचारियों को छोड़कर गहलोत से आ मिले थे. दूसरी बार सरकार बनी तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें राज्य बीज निगम को चेयरमैन बनाया था. इस बार सियासी संकट के दौरान उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही. वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में विधायक जुटाने के अभियान में लगे रहे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन्हें राजस्थान पर्यटन निगम का अध्यक्ष बनाकर मंत्री का दर्जा दे रखा था. राजस्थान की राजनीति में राजेंद्र गुढ़ा की गिनती बड़े पावर सेंटर के रूप में होती है, जहां मंत्री विधायकों से लेकर अधिकारियों और बिजनेसमैन का मेला लगा रहता है.
शेखावत का आया बयान
वहीं इस मामले पर राजस्थान कांग्रेस के नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि राजेंद्र गुढ़ा का कहना है कि लाल डायरी में बहुत राज हैं, उसमें 500 करोड़ का हिसाब है और मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत का भी नाम है. विधानसभा में लाल डायरी लेकर गए गुढ़ा के साथ मारपीट कर उन्हें बल प्रयोग कर बाहर कर दिया गया. साफ है कि डायरी में लिखे काले धन के राज और नाम सामने आने से सीएम गहलोत का राजनीतिक जीवन संकट में पड़ जाएगा. कांग्रेस की सरकार तक गिर सकती है. और जैसा गुढ़ा बता रहे हैं, कई लोगों को जेल भी हो सकती है. विधानसभा में आज राज्य सरकार ने लाल डायरी के राज सामने आने से रोकने के लिए गुंडागर्दी कराई है.