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Rajya Sabha Election 2022: राजस्थान में कहीं फंस जाए कांग्रेस का गेम, हरियाणा जैसे 'पेन कांड' का डर?

Rajya Sabha Election 2022: साल 2016 में इसी तरह सुभाष चंद्रा हरियाणा से राज्यसभा चुनाव मैदान में उतरे थे और कांग्रेस की गुटबाजी का उन्हें सियासी फायदा मिला था. सुभाष चंद्रा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे और बीजेपी उन्हें समर्थन कर रही थी. कांग्रेस प्रत्याशी से भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा खुश नहीं था. इसका फायदा सुभाष चंद्रा को मिला.

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राज्यसभा (File Photo)
राज्यसभा (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुभाष चंद्रा की एंट्री से बिगड़ा कांग्रेस का गेम
  • कांग्रेस की 3, भाजपा की 1 सीट कंफर्म
  • अब 4 सीटों पर हो गए 5 उम्मीदवार

Rajya Sabha Election 2022: राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों पर पांच उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा के लिए चुनावी मैदान में उतरे सुभाष चंद्रा को बीजेपी ने समर्थन देकर चौथी सीट के लिए मुकाबला रोचक बना दिया है. मंगलवार को सुभाष चंद्रा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया है, जिसके बाद राजस्थान में उलटफेर की संभावना बढ़ गई है. 

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राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों के लिए कांग्रेस ने तीन कैंडिडेट उतारे हैं तो बीजेपी ने एक प्रत्याशी उतारा है. विधायकों के मौजूदा आंकड़ों के लिहाज से एक सीट बीजेपी और तीन सीटें कांग्रेस के लिए कन्फर्म हैं, लेकिन सुभाष चंद्रा के निर्दलीय उतरने से अब 4 सीटों के लिए पांच कैंडिडेट मैदान में हो गए हैं, जिसके चलते चौथी सीट का मामला उलझ गया है और अब शह-मात का खेल होने के चांस हैं.

राजस्थान से ये हैं कैंडिडेट

राज्यसभा के लिए कांग्रेस की ओर से रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी ने नामांकन पत्र दाखिल किया है, जबकि बीजेपी की तरफ से घनश्याम तिवाड़ी कैंडिडेट हैं. इसके अलावा बीजेपी ने चौथी सीट के लिए निर्दलीय उतरे सुभाष चंद्रा को अपना समर्थन दे दिया है, जिसके चलते कांग्रेस के तीसरे कैंडिडेट की राह मुश्किलों भरी हो गई. इसके लिए अब कांग्रेस प्रत्याशी को सुभाष चंद्रा से दो-दो हाथ करने होंगे, जिनके सिर पर बीजेपी का हाथ है.

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राजस्थान विधानसभा में कुल 200 विधायक हैं. ऐसे में एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 41 वोट चाहिए. बीजेपी के पास फिलहाल 71 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 109 विधायक हैं. इस तरह बीजेपी के घनश्याम तिवाड़ी की 41 वोट के साथ जीत तय है और उसके बाद 30 वोट अतरिक्त बचते हैं. इस तरह बीजेपी के समर्थन के बाद सुभाष चंद्रा को जीत के लिए सिर्फ 11 वोट और चाहिए होंगे. 

वहीं, कांग्रेस के पास फिलहाल 109 विधायकों के अलावा 13 निर्दलीय, 2 सीपीएम और दो बीटीपी के विधायक हैं. वहीं, तीन विधायक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हैं. बीजेपी के समर्थन के साथ निर्दलीय चुनाव में उतरे सुभाष चंद्रा का गणित है कि बीजेपी के 30 अतरिक्त वोटों के अलावा 3 आरएलपी, 2 बीटीपी और 6 निर्दलीय विधायक उनके साथ आ जाएंगे. निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे सुभाष चंद्रा ने कहा कि हमने पहले से विधायकों का इंतजाम कर लिया है. इसलिए आए हैं और हमारी जीत तय है. 

वहीं, कांग्रेस के तीनों राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर पार्टी के अंदर विरोध है. मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के अलावा वरिष्ठ विधायक भरत सिंह ने कांग्रेस के तीनों बाहरी उम्मीदवारों को राजस्थान से राज्यसभा भेजने पर आपत्ति जताई है. इसके अलावा राजस्थान से आने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा भी पार्टी के तीनों बाहरी कैंडिडेट को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं. 

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वसुंधरा राजे से की मुलाकात

वसुंधरा राजे के जानी दुश्मन माने जाने वाले घनश्याम तिवाड़ी को उच्च सदन में भेजने के फैसले के बाद घनश्याम तिवाड़ी को वसुंधरा के घर भेजकर मनाने की भी कोशिश की गई है. बहुत सारे निर्दलीय विधायक वसुंधरा राजे के संपर्क में हैं, जिसकी वजह से सुभाष चंद्रा भी वसुंधरा से जाकर मिले. पायलट-गहलोत के सियासी संकट के दौरान वोटिंग के समय बीजेपी विधायकों के गायब होने की घटना के बाद वसुंधरा को बीजेपी साथ लेकर चलने की कोशिश कर रही हैं. 

चार सीटें, 5 कैंडिडेट मैदान में

राजस्थान में जिस तरह से चार राज्यसभा सीटों के लिए पांच कैंडिडेट मैदान में उतरे हैं, उसके बाद कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां अपने-अपने विधायकों को साधकर रखने में जुट गई हैं. कांग्रेस ने जिस तरह तीनों बाहरी उम्मीदवार उतारे, उससे राज्य के कुछ कांग्रेस विधायकों में असंतोष है. कांग्रेस के लिए अपने तीसरी उम्मीदवार को राज्यसभा के तौर पर जिताना बड़ी चुनौती मानी जा रही है तो बीजेपी ने अब सुभाष चंद्रा को समर्थन देकर अपनी साख का सवाल बना लिया. 

कांग्रेस-बीजेपी के बीच शह-मात का खेल

कांग्रेस के सभी विधायकों और गहलोत सरकार को समर्थन देने वाले सभी विधायकों को जयपुर पहुंचने के लिए कहा गया है. वहीं, बीजेपी भी अपने विधायकों को जोड़ने में जुट गई है. राज्यसभा चुनाव के 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट के तौर पर माना जा रहा है, जिसके चलते कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल होगा. ऐसे में देखना है कि कौन सियासी बाजी मारता है. 

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पहले भी मिला गुटबाजी का फायदा

बता दें कि सुभाष चंद्र साल 2016 में इसी तरह हरियाणा से राज्यसभा चुनाव मैदान में उतरे थे और कांग्रेस की गुटबाजी का उन्हें सियासी फायदा मिला था. सुभाष चंद्रा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे और बीजेपी उन्हें समर्थन कर रही थी. वहीं, कांग्रेस और इनेलो के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के वकील आरके आनंद मैदान में थे. विधानसभा के आंकड़े सुभाष चंद्रा के पक्ष में नहीं थे, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी से भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा खुश नहीं था. ऐसे में राज्यसभा चुनाव के दौरान पेन चेंज कांड हो गया. 

पेन चेंज कांड जैसा खेल होने की आशंका

कांग्रेस को 14 विधायकों ने वोट देने के दौरान गलत पेन यूज किया. माना जाता है कि रणनीतिक रूप से किसी ने वोटिंग के लिए बैंगनी स्याही की जगह ब्ल्यू स्याही वाला पेन रख दिया. ऐसे में 14 कांग्रेस विधायकों ने गलत स्याही से आरके आनंद को वोट किया, जिसके बाद उनके वोट रद्द हो गए. इससे कम वोट होते हुए भी सुभाष चंद्रा जीत गए और कांग्रेस उम्मीदवार हार गया. ऐसे में पेन चेंज कांड क्या राजस्थान में भी दोहराया जाएगा या फिर कोई नया सियासी जोड़-तोड़ देखने को मिलेगा?

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