राजस्थान के भीलवाड़ा में एक साथ कई एंबुलेंस के सायरन की आवाज के साथ डॉक्टरों ने रैला निकाली. राइट टू हेल्थ बिल को लेकर भीलवाड़ा में डॉक्टर के दो रूप देखने को मिले. गहलोत सरकार की सख्ती के कारण पूरे जिले में 350 में से 25 सरकारी डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहे. बाकी के डॉक्टर ने मरीजों का इलाज किया.
वहीं, पिछले 10 दिनों से राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्राइवेट डॉक्टर भी हड़ताल पर चल रहे हैं. इनके समर्थन में बुधवार को सरकारी डॉक्टर ने सामूहिक अवकाश की घोषणा की थी. राज्य सरकार की सख्ती के कारण भीलवाड़ा जिले में 25 डॉक्टर अवकाश पर रहे. जिला मुख्यालय के राजकीय महात्मा गांधी चिकित्सालय में अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर अरुण गोड ने मुस्तैदी से मरीजों का इलाज करवाया.
बुधवार शाम को निकाली रैली
अस्पताल अधीक्षक अरुण गोड ने कहा कि प्राइवेट डॉक्टर के हड़ताल के कारण जिला चिकित्सालय में मरीजों की संख्या प्रतिदिन की अपेक्षा काफी बढ़ गई है. अब 2,800 तक मरीज पहुंच रहे हैं. हम मरीजों के उपचार के लिए पूरी तरह से मुस्तैद हैं.
दूसरी ओर बुधवार शाम को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन चैप्टर भीलवाड़ा की अगुवाई में जिला चिकित्सालय के सामने से बड़ी संख्या में रैली निकाली गई. साथ ही राइट टू हेल्थ बिल का जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया गया.
रैली में सम्मिलित डॉ. अतुल हेड़ा और आशीष अजमेरा ने कहा कि यह बिल न केवल डॉक्टर के लिए, बल्कि आमजन के लिए भी ठीक नहीं है. इस कारण हम इसका विरोध कर रहे हैं. सरकार को इस बिल को वापस लेना चाहिए.
जानिए राइट टू हेल्थ बिल के बारे में
- राजस्थान विधानसभा में ये बिल 21 मार्च को पास हो चुका है. गजट नोटिफिकेशन जारी होते ही ये कानून बन जाएगा.
- इस बिल में राज्य में रह रहे सभी लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार दिया गया है. बिल में प्रावधान है कि कोई भी अस्पताल या डॉक्टर मरीज को इलाज के लिए मना नहीं कर सकता.
- बिल में प्रावधान है कि इमरजेंसी में आए मरीज को कोई भी अस्पताल या डॉक्टर इलाज के लिए मना नहीं कर सकता. ऐसी स्थिति में मरीज का पहले इलाज किया जाएगा.
- ये बिल अगर कानून बनता है, तो अस्पताल आने पर मरीज को बगैर कोई डिपॉजिट किए ही इलाज मिल सकेगा. अब तक ऐसा होता है कि जब तक मरीज के परिजनों से फीस नहीं मिल जाती है, तब तक इलाज शुरू नहीं होता है. मगर, कानून के बाद डॉक्टर इसके लिए मना नहीं कर सकेंगे.
(रिपोर्ट- प्रमोद तिवारी)