राजस्थान के कोटा में बेटी से रेप के मामले में कोर्ट ने कलयुगी पिता को अंतिम सांस तक कारावास में रहने की सजा सुनाई साथ ही 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. शनिवार को कोर्ट नंबर- 3 के जज दीपक दुबे ने फैसला सुनाते हुए रामचरित मानस की चौपाई लिखी और पिता को गुनहगार करार दिया. सरकारी वकील ललित कुमार शर्मा ने बताया कोर्ट ने 15 पेज का फैसला दिया.
अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी।।
इन्हही कुदृष्टि बिलोकई जोई। ताहि बध कछु पाप न होई।।
इस श्लोक का अर्थ है कि 'कोई व्यक्ति छोटे भाई की स्त्री, बहन, पुत्र की स्त्री और कन्या को बुरी दृष्टि से देखता है तो उसे मारने में कोई पाप नहीं है'. विशेष न्यायाधीश दीपक दुबे ने कहा कि कलयुगी पिता यह भूल गया था कि वह उसकी सगी बेटी है. उसने बेटी को न सिर्फ असहनीय शारीरिक पीड़ा दी बल्कि वो यह भूल गया कि बच्ची इस मानसिक पीड़ा को जीवनभर नहीं मिटा पाएगी.
रामचरित मानस की चौपाई लिखी और बाप को उम्रभर के लिए जेल भेजा
न्यायालय ने कहा कि पीड़िता की मां के हौसले का सम्मान करता है अत्यंत पिछड़ी जनजाति होने के बाद भी उसने अपनी मासूम बेटी की पीड़ा को समझा और कानूनी कार्रवाई कर अपने पति को दंड दिलाने में सहायता की.
पीड़िता की मां स्वयं अत्यंत गरीब है मजदूरी करती है अपनी तीन संतानों के भरण पोषण के लिए अपने पति पर आश्रित थी यह उदाहरण समाज के लिए प्रकाश स्तंभ की भांति संदेश देता है कि अन्याय करने वालों कोई भी क्यों ना हो उसे सजा जरूर दिलानी चाहिए.
अभियोजन पक्ष की तरफ से 11 गवाह पेश हुए
सरकारी वकील ललित कुमार शर्मा ने बताया कि 9 मार्च 2023 को उद्योग नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई थी. आरोपी ने 19, 20 दिसंबर 2022, 26 जनवरी 2023 को अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया. इससे पहले भी वह ऐसी हरकत करता रहा है. जांच पड़ताल में पुलिस ने एक मई 2023 को कोर्ट में चालान पेश किया. अभियोजन पक्ष की तरफ से 11 गवाहों के बयान भी करवाए गए थे. इसके बाद आरोपी को उम्रकैद की सजा दी गई.