अशोक गहलोत का सियासी अंदाज एकदम जुदा है. गहलोत को अपने सियासी सफर में कई चुनौतियां मिलीं लेकिन उनके सामने कोई नहीं टिक पाया. इस बार भी उनके सामने एक चुनौती आई है और वह है सीएम पद के लिए सचिन पायलट की दावेदारी की काट निकालते हुए अपने किसी चहेते को सत्ता की प्राइम कुर्सी दिलाने की. पिछले कई वर्षों में राजेश पायलट, सीपी जोशी और सचिन पायलट से मिली चुनौतियों को पार करने वाले गहलोत के लिए क्या इस बार आई अड़चन को पार कर पाना आसान होगा?
अशोक गहलोत राजस्थान में सचिन पायलट की काट सीपी जोशी के रूप में देख रहे है. उन्हें वह सीएम बनाने पर राजी हैं, लेकिन एक दौर था जब गहलोत और सीपी जोशी के बीच सियासी होड़ थी.
राजस्थान में गहलोत के बाद सीपी जोशी कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेता हैं. 2008 में सीपी जोशी का कद गहलोत से कुछ कम नहीं था. वो प्रदेश अध्यक्ष भी थे इसलिए उनकी दावेदारी सीएम पद के लिए मजबूत थी. उस समय गहलोत के सामने सीएम बनने की राह में सीपी जोशी रोड़ा थे लेकिन दुर्भाग्य से सीपी जोशी एक वोट से विधानसभा चुनाव हार गए और विधायकी हारते ही वे सीएम की रेस से दूर हो गए थे.
सीपी जोशी ने गहलोत के बेटे को बनवाया RCA अध्यक्ष
वर्तमान में गहलोत और सीपी जोशी में नजदीकियां बढ़ गई हैं. गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनवाने में सीपी जोशी की बड़ी भूमिका रही है. इसके अलावा पायलट की बगावत के वक्त सीपी जोशी ने पायलट गुट के विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भेजा था, जिसके बाद गहलोत और सीपी जोशी के रिश्ते मधुर होने लगे हैं.
तब राजेश पायलट ने गहलोत को नहीं दिया था न्योता
एक दौर में सीपी जोशी के अलावा सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट से भी गहलोत का टकराव हुआ था. वहां से अशोक गहलोत बढ़त बनाने में कामयाब रहे.
1993 में केंद्रीय मंत्री रहे राजेश पायलट अशोक गहलोत के संसदीय क्षेत्र जोधपुर पहुंचे थे लेकिन उन्हें बुलाया नहीं गया. जब लोगों ने पूछा कि हमारे सांसद कहां हैं तो राजेश पायलट ने कहा यहीं-कहीं होंगे बेचारे गहलोत.उस वक्त गहलोत हाशिये पर थे, लेकिन कुछ वक्त बाद गहलोत ने बाजी पलट दी और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए.
1998 से मजबूत हो गई अशोक गहलोत की स्थिति
1998 विधानसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस जीत चुकी थी. सोनिया गांधी भी राजनीति में सक्रिय हो चुकी थीं, लेकिन पायलट सीताराम केसरी से कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हारने के बाद से ही हाशिये पर आ गए थे.
सोनिया गांधी ने सीएम पद के लिए गहलोत का समर्थन किया और राजेश पायलट का पत्ता कट गया. इस तरह 1998 में राजेश पायलट, 2008 में सीपी जोशी और 2018 में सचिन पायलट की चुनौती के बाद भी अशोक गहलोत सीएम बनने में कामयाब रहे. अब सबकी नजरें एक बार फिर गहलोत के गेम पर है कि सीपी जोशी आएंगे या फिर पायलट सरकार चलाएंगे.
(आज तक ब्यूरो)