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टकराव खत्म, CM फेस के लिए खाली मैदान... अदावत भुला 23 की जंग के लिए तैयार हुए पायलट

सचिन पायलट ने सीएम के चेहरे पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दशकों से कांग्रेस किसी एक चेहरे को आगे करके चुनाव नहीं लड़ती है. सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे और उसके बाद तय किया जाएगा कि सीएम किसे बनाया जाए. इस दौरान उन्होंने अशोक गहलोत की तारीफ भी की.  

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सचिन पायलट (फोटो- पीटीआई)
सचिन पायलट (फोटो- पीटीआई)

राजस्थान में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर हाल में कांग्रेस की बैठक हुई थी. इसके बाद सचिन पायलट ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने उन्हें 'माफ करें, भूल जाएं और आगे बढ़ें की सलाह दी. इसके साथ ही पायलट ने सीएम के चेहरे पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दशकों से कांग्रेस किसी एक चेहरे को आगे करके चुनाव नहीं लड़ती है. सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे और उसके बाद तय किया जाएगा कि सीएम किसे बनाया जाए. इस दौरान उन्होंने अशोक गहलोत की तारीफ भी की है.  

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कांग्रेस महासचिव संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पायलट ने कहा कि पार्टी कभी भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं करती है. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि वेणुगोपाल ने जो कहा वह गलत नहीं है. हर बार जब हम चुनाव में जाते हैं तो किसी चेहरे पर नहीं लड़ते हैं. इसलिए 2018 में जब मैं पीसीसी अध्यक्ष था और हमने एकजुट होकर चुनाव लड़ा तो हमने कभी नहीं कहा कि X, Y, Z सीएम चेहरा होंगे. यह फैसला हम चुनाव के बाद करते हैं."  

पायलट ने जोर देकर कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार A, B, C के बारे में नहीं है, बल्कि पार्टी के बारे में है और पार्टी का नेतृत्व, राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व एक सामूहिक इकाई है. उन्होंने जोर देकर कहा, "हमारा प्रदर्शन और नीतियां व्यक्तिवादी नहीं हैं. वे कांग्रेस पार्टी की विचारधारा पर आधारित हैं, कैबिनेट वहां है, सीएम वहां हैं, हम सभी वहां हैं. जीत और हार किसी एक व्यक्ति के बारे में नहीं है, यह एक टीम की है."  

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सीएम कौन होगा, चुनाव के बाद तय होगा: पायलट 

पूर्व पीसीसी अध्यक्ष ने कहा, "वेणुगोपाल ने जो भी कहा मैं उसमें कुछ भी जोड़ना नहीं चाहता, लेकिन वह बिल्कुल सही हैं कि कांग्रेस ने परंपरागत रूप से कभी सीएम फेस का ऐलान नहीं किया क्योंकि संसदीय लोकतंत्र में निर्वाचित विधायक अपना नेतृत्व चुनते हैं कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा." 

पायलट ने जोर देकर कहा कि अभी हमारी चुनौती 25 साल से चली आ रही सत्ता विरोधी प्रवृत्ति को खत्म करने की है. उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि हम सरकार बनाते हैं और अगले चुनाव में बुरी तरह हार जाते हैं. पायलट के मुताबिक, सामूहिक नेतृत्व ही राजस्थान में चुनाव जीतने का एकमात्र रास्ता है. 

गहलोत को लेकर क्या बोले पायलट?

पायलट ने कहा, "अशोक गहलोत जी मुझसे बड़े हैं, उनके पास अनुभव भी ज्यादा है. उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारियां हैं, जब मैं राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष था तो मैंने सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश की. मुझे लगता है कि आज वह मुख्यमंत्री हैं. इसलिए वह सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं." 

कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर थोड़ा इधर-उधर हुआ तो ये कोई बड़ा मुद्दा नहीं है क्योंकि पार्टी और जनता किसी भी व्यक्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. मैं इसे समझता हूं और वह भी इसे समझते हैं.  

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खड़गे ने दी है सलाह: पायलट 

पायलट ने इस दौरान खड़गे की सलाह के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि  पार्टी अध्यक्ष ने सलाह दी है कि माफ करो, भूल जाओ और आगे बढ़ो, यह हर किसी पर लागू होता है. मेरा मानना ​​है कि हमें अब आगे बढ़ना होगा और नई चुनौतियों का सामना करना होगा. पायलट ने कहा, ''राजस्थान के लोगों को और ऐसा करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा और ऐसे तरीके से आगे बढ़ना होगा जो लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं को स्वीकार्य हो.'' 

इसके साथ ही पायलट ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि वह प्रदेश में अंदरूनी कलह से जूझ रही है. उन्होंने कहा कि हम इतिहास बनाने की राह पर हैं. यह बहुत संभव है कि हमें पिछली बार की तुलना में अधिक सीटें मिलेंगी.  

2020 से जारी है दोनों नेताओं के बीच विवाद 

राजस्थान में साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, जिसके बाद से ही गहलोत और पायलट सत्ता के लिए संघर्ष में लगे हुए हैं. 2020 में पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ विद्रोह भी किया, जिसके बाद से उन्हें राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया गया था. साल 2023 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस ने पायलट और गहलोत के बीच सियासी टकराव खत्म करने को लेकर अहम बैठक की थी. इसी में तय किया गया कि कांग्रेस यह चुनाव बिना सीएम फेस के लड़ेगी.

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पार्टी की चेतावनी को पायलट ने किया नजरअंदाज 

बीते साल, जब गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की संभावनाओं के बीच राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को प्रभावित करने का आलाकमान का प्रयास फेल हो गया था. दरअसल गहलोत के वफादारों ने अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगाकर विधायक दल की बैठक नहीं होने दी थी. पायलट ने बीते महीने पार्टी की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया था और वसुंधरा राजे सरकार के दौरान भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर गहलोत पर निशाना साधते हुए एक दिन का उपवास भी किया था. 

 

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