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अफसोस होता है जब... वीरांगनाओं के समर्थन में सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार को घेरा

वीरांगनाओं के साथ बदसलूकी के मामले में सचिन पायलट ने अपनी ही पार्टी को इंसानियत का पाठ पढ़ाया है. उन्होंने कहा कि असली इंसान वही होता है जो लोगों के दिलों पर राज करता है. बात अगर एक या दो नौकरी की है तो कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. नियम संसोधन पहले भी हुए हैं और आगे भी होंगे. 

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सचिन पायलट और अशोक गहलोत. (फाइल फोटो)
सचिन पायलट और अशोक गहलोत. (फाइल फोटो)

राजस्थान में पुलवामा की वीरांगनाओं के साथ बदसलूकी का मामला तूल पकड़ रहा है. इसी बीच सचिन पायलट ने अपनी ही पार्टी को इंसानियत और सच्ची सियासत का पाठ पढ़ाया है. कहा कि बड़े-बड़े पदों पर तो बहुत लोग बैठते हैं लेकिन असली इंसान वही होता है जो लोगों के दिलों पर राज करता है. वीरांगनाओं को लेकर राजनीति करने पर बहुत गलत संदेश जाएगा. बात अगर एक या दो नौकरी की है तो कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. नियम संसोधन पहले भी हुए हैं और आगे भी होंगे. 

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जनता से मिलने और बात करने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए

पायलट ने कहा, "मैं सैनिकों की शहादत को नमन करता हूं. इसमें राजनीती करना गलत है. जनता ही जनार्दन है, समस्याओं के समाधान के लिए उनसे मिलने और बात करने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए. मुलाकात करके ही चीजों का समाधान निकाला जा सकता है." इससे पहले पायलट ने कहा कि उन्हें अफसोस होता है जब शहीदों की परिजनों के साथ पुलिस बर्बरता करती है. मांगों को मानना या न मानना अलग बात है, लेकिन मानवता के नाते शहीदों की वीरांगनाओं से मिलना तो चाहिए. 

शहीद रोहिताश लांबा के भाई के पुलिस पर आरोप

उधर, शहीद रोहिताश लांबा के भाई जितेंद्र ने बताया कि 4 साल पहले मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा था कि शहीद के भाई को नौकरी दी जाएगी लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिली. हम अहिंसावादी होकर आंदोलन कर रहे थे लेकिन हमारे साथ दुर्व्यवहार किया गया. मोबाइल और गाड़ी भी पुलिस के पास है.

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जितेंद्र ने कहा, "मेरी भाभी कहां हैं, यह भी हमें पता नहीं है. हमें मिलने भी नहीं दिया जा रहा है. भाभी को कल सुबह अमरसर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. इसके बाद पुलिस ने उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया. जो कि अभी तक घर नहीं लौटी हैं.

इन मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही थीं वीरांगनाएं

गौरतलब है कि पुलवामा हमले में शहीद तीन जवानों की पत्नियां राजस्थान में विरोध-प्रदर्शन कर रही थीं. उनकी मांग है कि शहीदों की प्रतिमा लगाई जाए और रिश्तेदारों को नौकरी दी जाए. हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत साफ कर चुके हैं कि वे किसी शहीद के बच्चे की नौकरी का हक नहीं मारेंगे, लेकिन किसी के रिश्तेदार को नौकरी देना ठीक परंपरा नहीं है. 

इस प्रदर्शन में हुई बदसलूकी को लेकर जयपुर स्थित बीजेपी मुख्यालय से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की अगुवाई में प्रदर्शन किया गया. इस दौरान पार्टी मुख्यालय से सहकार भवन की ओर निकले सैकड़ों कार्यकर्ताओं को जब पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो दोनों ओर से जबरदस्त झड़प हुई. इस बीच कुछ कार्यकर्ताओं ने पुलिस की गाड़ी पर हल्का पथराव भी किया लेकिन पदाधिकारियों ने बीच-बचाव कर मामले को शांत करवाया.

प्रदर्शन में सबसे ज्यादा किरोड़ीलाल मीणा के ही समर्थक पहुंचे थे. जो काफी आक्रोशित थे, जिन्हें प्रदेश पदाधिकारियों ने कई बार शांत भी करवाया लेकिन वो किसी की भी सुनने को तैयार नहीं थे. ऐसे में सतीश पूनिया ने सांकेतिक प्रदर्शन कर वापस अपने कदम पीछे खींचने लगे तभी किरोड़ी समर्थक उत्तेजित हो गए और पुलिस से धक्कामुक्की करने लगे. इस बीच पुलिस ने उन्हें सबक सिखाया.

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