राजस्थान में चुनाव से पहले कांग्रेस में फिर 'रण' शुरू हो गया है. पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) पर बड़ा हमला बोला है.
उन्होंने गहलोत पर BJP के नेताओं को बचाने का आरोप लगाया है. पायलट ने अशोक गहलोत पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ साठगांठ का आरोप लगााया. उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहने के दौरान जितने भी घोटाले हुए अशोक गहलोत ने सब दबा दिए.
पायलट ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आएगी तो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करेंगे, मगर मिलेजुले खेल में सारे मामले दबा दिए गए. जब हमारी सरकार बनी थी, तब भ्रष्टाचार को लेकर हमने मिलकर कई बातें कहीं थीं, लेकिन अब तक यह काम नहीं हुए है.
उन्होंने कहा कि मैं 11 अप्रैल को शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करूंगा. यह अनशन उन बातों को रखने और उन्हें करने को लेकर किया जाएगा. जो अब तक हमारी सरकार द्वारा नहीं हुईं.
यह भी पढ़ेंः 'इतना घमंड ठीक नहीं...', सचिन पायलट के ससुर फारूक अब्दुल्ला का CM गहलोत पर तंज
सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दो चिट्ठियां लिखी हैं और कहा है कि हमने और आपने जो आरोप लगाए थे, उनकी जांच करवाइए, मगर कुछ नहीं हुआ. सचिन पायलट अशोक गहलोत के आरोपों के वीडियो दिखा रहे हैं, जिसमें गहलोत ने वसुंधरा पर आरोप लगाए थे.
'विपक्ष में रहते हुए उठाए थे भ्रष्टाचार के मुद्दे, उन पर नहीं हुआ कोई काम'
सचिन पायलट ने कहा कि हमने विपक्ष में रहते हुए कड़ा संघर्ष किया था, जिसके कारण हम सत्ता में आए. विपक्ष में रहते हुए हमने वसुंधरा राजे सरकार के शासन में भ्रष्टाचार के कई मुद्दे उठाए. हमारी विश्वसनीयता तब होगी, जब विपक्ष में रहकर जो आरोप लगाए जाते हैं, उन पर कार्रवाई की जाए.
यह भी पढ़ेंः 'इकट्ठे हो जाओ...हम बच जाएंगे', सलमान खुर्शीद की सचिन पायलट और अशोक गहलोत को सलाह
भ्रष्टाचार के वो मुद्दे अशोक गहलोत ने और मैंने उठाए थे. पायलट ने कहा कि मैंने 28 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद फिर 2 नवंबर 2022 को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार के उन मामलों में कार्रवाई की मांग की, चाहे वह खनन माफिया का मामला हो या कोई और.
अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे की मिलीभगत चल रही है?
पायलट ने कहा कि केंद्र में विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन राजस्थान में एजेंसियों का इस्तेमाल अच्छे उद्देश्य के लिए भी नहीं किया जा रहा है. पायलट ने सवाल किया कि क्या अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे की मिलीभगत चल रही है?
'जादूगरी' पर पायलट ने कसा था तंज, पेपर लीक के मुद्दे पर उठाए थे सवाल
बता दें कि बीते माह एक सभा के दौरान सचिन पायलट ने पेपर लीक का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि अगर बार-बार पेपर लीक हो रहे हैं तो इसकी जवाबदेही तय करनी होगी. कहा जा रहा है कि पेपर लीक में कोई नेता, कोई अधिकारी शामिल नहीं है, फिर तिजोरी में बंद कागज छात्रों तक कैसे पहुंच गए हैं? यह जादूगरी है. बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सियासत में 'जादूगर' कहकर संबोधित किया जाता है.
पायलट ने कहा था कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में अब कुछ ही महीने बचे हैं. अगर सभी को सम्मान दिया जाता है तो हम 2023 की लड़ाई जीत सकते हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि 'कुछ लोगों को यह गुमान है कि हमारी उड़ान कुछ कम है, पर मुझे यकीन है कि आसमान कुछ कम है.'
बीते दिनों पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं से बदसलूकी को लेकर भी सचिन पायलट ने गहलोत सरकार पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने इस मामले को लेकर गहलोत सरकार को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें बदसलूकी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी.
एक ही पार्टी में चलते हैं दो नेताओं के गुट
राज्य के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच विवाद की खबरें हर साल आती हैं. कहा जाता है कि पायलट मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और गहलोत उन्हें मौका नहीं दे रहे. राज्य में एक ही पार्टी में दो नेताओं के गुट चलते हैं. एक गहलोत खेमा है तो दूसरा पायलट खेमा है.
सीएम पद के लिए है लड़ाई!
बीते साल जब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए थे तो इस पद के लिए अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे था. ऐसे में कहा जाने लगा था कि अगर गहलोत पार्टी अध्यक्ष बनते हैं तो राजस्थान की कमान सचिन पायलट को दी जा सकती है, लेकिन इस दौरान गहलोत ने अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से मना कर दिया था और राज्य के सीएम बने रहे.
जयराम रमेश ने राज्य सरकार को सराहा
उधर, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने बड़ी संख्या में योजनाओं को लागू किया है. कई ऐसी पहल की हैं, जिनसे लोगों को लाभ मिला है और गहराई से प्रभावित किया है. इससे राज्य को देश में पहचान भी मिली है.
राजस्थान में पार्टी संगठन के समर्पण से ही राज्य में भारत जोड़ो यात्रा जबरदस्त रूप से सफल हुई थी. इस साल के अंत में कांग्रेस इन उपलब्धियों और संगठन के सामूहिक प्रयासों के दम पर लोगों के बीच जाकर फिर से सेवा करने के लिए जनादेश मांगेगी.