राजस्थान की राजनीति का चर्चित एकल पट्टा प्रकरण में BJP की भजनलाल सरकार ने यू टर्न लिया है. इस मामले में पहले सरकार ने क्लीनचिट दे दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री शांति धारीवाल पर मामला बनता है. सरकार ने शांति धारीवाल के साथ-साथ तीन अधिकारियों पर भी मामला बनने की बात कही है.
बता दें कि गहलोत सरकार के दूसरे कार्यकाल के बाद वसुंधरा राजे सत्ता में आयीं तो तीन दिसंबर 2014 को शांति धारीवाल के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में एकल पट्टा प्रकरण में मामला दर्ज करवाया था. तब अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था और पूर्व मंत्री धारीवाल से एसीबी ने पूछताछ की थी, उसके बाद गहलोत सरकार आयी तो उसी एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस मामले में तीन बार शांति धारीवाल समेत तीनों अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी.
मंत्री को मिल गई थी क्लीनचिट
लेकिन ACB कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. इसके बाद आरोपी हाईकोर्ट चले गए, जहां हाईकोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को सही मान लिया. राजस्थान के भजनलाल सरकार ने भी 22 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश करते हुए मंत्री शांति धारीवाल को क्लीन चिट दे दी. इसके बाद हंगामा मचा तो अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर यू टर्न ले लिया है.
'तथ्यों को नजरअंदाज किया गया'
अब राजस्थान की भजनलाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि एसीबी के अधिकारियों और तत्कालीन सरकारी वकीलों ने इस मामले में कुछ तथ्यों को नजरअंदाज किया. सरकार में भी अधिकारियों ने लापरवाही बरतते हुए क्लीन चिट दे दी थी, जबकि यह मामला बनता है.
2013 में हुई थी शिकायत
दरअसल, जून 2011 में जयपुर विकास प्राधिकरण ने गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेन्द्र गर्ग के नाम से एकल पट्टा जारी किया था, जिसके खिलाफ 2013 में एंटी करप्शन ब्यूरो में राम शरण सिंह ने शिकायत की थी कि भारी भ्रष्टाचार करके गैर कानूनी काम किया गया है.
मामले को कर दिया था निरस्त
मामला बढ़ता देख 25 मई 2013 को तत्कालीन गहलोत सरकार ने एकल पट्टा प्रकरण मामले में पट्टे को निरस्त कर दिया था. एंटी करप्शन ब्यूरो की शिकायत में उस समय के स्वायत्त शासन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी GS संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर और जोन उपायुक्त ओमकार बाल सैनी समेत शैलेन्द्र गर्ग और मंत्री शांति धारीवाल को आरोपी बनाया गया था, शांति धारीवाल को छोड़ सबकी गिरफ्तारी हुई थी.