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'परिवार और दोस्तों को परेशान न किया जाए, हैप्पी बर्थडे पापा...', नोट लिख कोटा में छात्र ने किया सुसाइड

छात्र ने पहले हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटककर सुसाइड करने की कोशिश की थी. इसमें सफल न होने पर उसने सिर और मुंह को पॉलीथिन से पूरी तरह ढक लिया. उसके बाद पॉलिथीन को गले के पास रस्सी से बांधा. ताकि सांस न ले सके. उसके सुसाइड करने के तरीके से साथी स्टूडेंट्स के साथ ही पुलिस भी हैरान है.

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स्टूडेंट के कमरे से बरामद सुसाइड नोट.
स्टूडेंट के कमरे से बरामद सुसाइड नोट.

कोटा में एक कोचिंग स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया है. उसकी पहचान मनजोत सिंह (18 साल) के रूप में हुई है. वो यूपी के रामपुर का रहने वाला था. अप्रैल से कोटा में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रहा था. पुलिस हॉस्टल पहुंची तो उसका कमरा अंदर से बंद मिला. चेहरा पॉलीथिन और हाथ रस्सी से पीछे की ओर बंधे हुए थे. सुसाइड करने के तरीके ने पुलिस को भी हैरान कर दिया है.

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बताया जा रहा है कि छात्र ने पहले हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटककर सुसाइड करने की कोशिश की थी. इसमें सफल न होने पर उसने चेहरे को पॉलीथिन से पूरी तरह ढक लिया. फिर गले के पास पॉलिथीन को रस्सी से बांधा, ताकि सांस न ले सके. इतना ही नहीं उसके बाद दोनों हाथों को रस्सी से पीछे की तरफ बांधा और बेड पर लेट गया.

'मैं अपनी मर्जी से कर रहा हूं, हैप्पी बर्थडे पापा'

छात्र के कमरे से सुसाइड नोट भी मिला है. इसमें उसने लिखा है, "मेरे परिवार और मेरे दोस्तों को परेशान नहीं किया जाए. यह मैं अपनी मर्जी से कर रहा हूं". साथ ही छात्र ने हैप्पी बर्थडे पापा भी लिखा है. विज्ञान नगर थाना अधिकारी दिवेश भारद्वाज ने बताया कि छात्र नीट की तैयारी कर रहा था. वो हॉस्टल में रहता था.

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सूचना मिलने पर हम पहुंचे और कमरे की तलाशी ली. इस दौरान एक सुसाइड नोट मिला. उसके बाद हमने अभिभावकों को सूचना दी. उनके आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी. सुसाइड नोट की भी जांच की जा रही है. स्टूडेंट सेल के इंचार्ज चंद्रसील ने बताया कि 16- 17 साल के जो बच्चे कोटा में आते हैं, वो पहली बार घर से बाहर निकलते हैं. परिवार से दूर होकर बच्चे छोटी-छोटी चीजों को लेकर परेशान हो जाते हैं.

'इन्हीं सब बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं'

चंद्रसील ने कहा कि बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर होता है. परिवार का सपना होता है. बच्चे क्या-क्या सहन करें. इन्हीं सब बातों को लेकर जब परेशान हो जाते हैं तो वो क्लास नहीं जाते और न परिवार को कुछ बताते हैं. हम बच्चों के बीच जाते हैं. उनसे मिलते हैं. उनकी बात सुनते हैं.

हमारी तरफ से पूरी कोशिश होती है कि किसी बच्चे को कोई तकलीफ है तो उसको कैसे दूर किया जाए. बहुत सारे फैक्ट हैं, जिनकी वजह से सुसाइड हो रहे हैं. हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सुसाइड को रोका जाए.

'पढ़ाई को लेकर ही सभी सुसाइड नहीं कर रहे'

उन्होंने आगे कहा कि हर कोचिंग में हम ये कोशिश कर रहे हैं कि बच्चे के लिए हर फैसिलिटी हो, साइकोलॉजिस्ट और काउंसलर्स हों. पढ़ाई को लेकर ही सभी बच्चे सुसाइड नहीं कर रहे हैं. अन्य रीजन भी होते हैं. ऐसे बच्चों को आईडेंटिफाई करना हमारी प्राथमिकता है. हम कोचिंग और हॉस्टल वालों की मदद भी ले रहे हैं.
 
बता दें कि कोटा में जनवरी से लेकर अब तक 19 कोचिंग छात्र सुसाइड कर चुके हैं. स्टूडेंट्स के लिए स्टूडेंट सेल का भी बनाया गया है. कलेक्टर द्वारा वेबसाइट भी बनाई गई है. बावजूद इसके सुसाइड के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

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