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अवैध रेत खनन मामले में SC ने राजस्थान के मुख्य सचिव को दी क्लीन चिट, याचिकाकर्ता नहीं दे पाया ठोस सबूत

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से याचिकाकर्ता से सवाल किया कि हमें कोई ऐसा ठोस साक्ष्य दिखाइए जिससे यह साबित हो कि जिन 82 खदान मालिकों के खनन कार्यों को बंद करने का आदेश दिया गया था, वे अब भी खनन कर रहे हैं? इस पर नवीन शर्मा ने स्वीकार किया कि ये 82 खदान मालिक खनन नहीं कर रहे, लेकिन उन्होंने दावा किया कि अन्य लोग अवैध खनन में संलिप्त हैं.

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भारत का सर्वोच्च न्यायालय. (फोटो- पीटीआई)
भारत का सर्वोच्च न्यायालय. (फोटो- पीटीआई)

राजस्थान में अवैध रूप से बजरी खनन के मामले में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत की जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले में राजस्थान के मुख्य सचिव को दोषमुक्त कर दिया है. ये अर्जी राज्य में अवैध बजरी (रेत) खनन से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कथित उल्लंघन के मामले में नवीन शर्मा द्वारा दायर की गई थी.

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याचिका में राज्य सरकार पर अवैध रेत खनन को रोकने में विफल रहने और सुप्रीम कोर्ट के 16 नवंबर, 2017 के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में वैज्ञानिक अध्ययन और पर्यावरणीय मंजूरी के बिना बजरी खनन संचालन पर कड़ी पाबंदी लगाई गई थी.

याचिका में मुख्य दलीलें और सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां

याचिकाकर्ता (इन-परसन) नवीन शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश होकर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने दावा किया कि कोर्ट के पिछले आदेशों के बावजूद राजस्थान में अवैध बजरी खनन बड़े पैमाने पर जारी है. उन्होंने कोर्ट में कहा, 'पूरा राजस्थान जल रहा है', जिससे यह संकेत मिला कि अवैध खनन के कारण व्यापक पर्यावरणीय विनाश और अराजकता फैल रही है.

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सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से याचिकाकर्ता से सवाल किया कि हमें कोई ऐसा ठोस साक्ष्य दिखाइए जिससे यह साबित हो कि जिन 82 खदान मालिकों के खनन कार्यों को बंद करने का आदेश दिया गया था, वे अब भी खनन कर रहे हैं? इस पर नवीन शर्मा ने स्वीकार किया कि ये 82 खदान मालिक खनन नहीं कर रहे, लेकिन उन्होंने दावा किया कि अन्य लोग अवैध खनन में संलिप्त हैं.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, 'अगर ऐसा है तो आपका उपाय इस अवमानना याचिका में नहीं बल्कि कहीं और है.' राजस्थान सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिशनल अटॉर्नी जनरल शिव मंगल शर्मा ने इन आरोपों का खंडन किया और दृढ़तापूर्वक कहा कि वर्तमान में राज्य में कोई अवैध खनन नहीं हो रहा है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह पालन किया है और खनन नियमों को सख्ती से लागू कर रही है.

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दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने नवीन शर्मा के आरोपों को खारिज कर दिया. क्योंकि उनके पास इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं था कि पहले से चिन्हित 82 खदान मालिक अवैध खनन कर रहे हैं. कोर्ट ने निर्णय दिया कि राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामे और अनुपालन उपायों के आधार पर, यह अवमानना का मामला नहीं बनता, और इस याचिका को खारिज कर दिया.

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सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में राजस्थान में नदी तल की रेत (बजरी) के खनन पर प्रतिबंध लगाया था. क्योंकि यह पर्यावरणीय दृष्टि से हानिकारक था और वैज्ञानिक पुनर्भरण अध्ययन की अनुपस्थिति में किया जा रहा था. इस प्रतिबंध के बावजूद, कई रिपोर्टों और समाचारों में अवैध बजरी खनन जारी रहने के आरोप लगाए गए, जिससे कानूनी विवाद और प्रवर्तन कार्रवाई हुई. इसके जवाब में राजस्थान सरकार ने अपनी नियामक व्यवस्था को मजबूत किया, अवैध खनन में शामिल वाहनों को जब्त किया और दोषियों पर भारी जुर्माना लगाया.

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