टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र के समरावता गांव में 13 नवंबर की रात निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के समर्थकों और पुलिस के बीच विवाद हो गया था. इसके बाद यहां पथराव और आगजनी की घटना हुई. इस पूरे विवाद के बाद अब गांव में सन्नाटा पसरा नजर आ रहा है. यहां शायद ही कोई घर ऐसा हो, जहां गांव में मचे बवाल के निशान नजर न आ रहे हों. यहां जली हुईं लगभग 3 दर्जन बाइक और दो दर्जन फोर व्हीलर उपद्रव की कहानी खुद ही बयां कर रहे हैं. आग में जले दो वाहन पुलिस विभाग के भी हैं.
समरावता गांव में ग्रामीणों ने अपनी पंचायत कचरावता के आठों गांवों को देवली उपखंड में शामिल किए जाने के विरोध में मतदान का बहिष्कार किया था. इसी दौरान मतदान का जायजा लेने आए निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी को इसलिए थप्पड़ जड़ दिया था, क्योंकि उन्होंने वहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और उसके परिवार के दो अन्य लोगों के वोट डलवा दिए थे, जिससे कि मतदान का पूर्ण बहिष्कार न हो सके.
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ग्रामीणों के द्वारा मतदान की सहमति जताए जाने के बाद नरेश मीणा को इस बात का डर सताने लगा था कि पुलिस मतदान प्रक्रिया के बाद गिरफ्तार कर सकती है. इसको लेकर मतदान समाप्ति के बाद नरेश के समर्थकों की भीड़ जमा हो गई.
जब समर्थकों को भोजन कराए जाने की तैयारी चल रही थी, इसी दौरान पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार करने की कोशिश की, तो वहां आक्रोश फैल गया. इस दौरान आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर जमकर पथराव किया.
इसके बाद गांव में खड़े वाहनों को एक-एक कर आग के हवाले कर दिया. गांव में ऐसे हालात के बीच पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और हवाई फायर भी किए.
आगजनी और पथराव की घटना के बाद एक्शन में आई पुलिस ने रात में 60 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार लोगों में नरेश मीणा के समर्थक और स्थानीय ग्रामीण शामिल हैं. पथराव व आगजनी की घटना के बाद ग्रामीणों ने पुलिस पर ही वाहनों को जलाने के आरोप जड़े.
घटना के पीछे क्या थी पूरी कहानी?
टोंक के एसपी भारी पुलिस फोर्स के साथ नरेश मीणा को गिरफ्तार करने उसी गांव में पहुंचे थे, जहां मीणा अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठे थे. इस दौरान नरेश मीणा सरेंडर करने से मना करते रहे. वो कह रहे थे कि जब तक उनकी शर्त नहीं मानी जाती, तब तक वो सरेंडर नहीं करेंगे, हालांकि पुलिस ने मीडिया के सामने ही नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया. नरेश मीणा की गिरफ्तारी के बाद समर्थकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद आंसू गैस के गोले छोड़े गए.
टोंक के एसपी विकास सांगवान ने कहा कि नरेश मीणा ने कानून हाथ में न लेने और सरेंडर करने को कहा है. पहले तो वह मूड में नहीं था, लेकिन पुलिस बल देखकर तैयार हो गया. उस पर संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. इसके अलावा उस पर दर्ज पुराने मामलों को फिर से खोला जाएगा. इस मामले में 50-60 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
नरेश मीणा ने एसडीएम पर क्या आरोप लगाए?
नरेश मीणा ने एसडीएम पर आरोप लगाते हुए कहा था कि गांव के लोग वोटिंग का बहिष्कार कर रहे थे, लेकिन एसडीएम बीजेपी कैंडिडेट को जिताने के लिए वहां फर्जी वोटिंग करा रहे थे. एसडीएम ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, उसके पति और एक टीचर को धमकाया कि अगर वोट नहीं डाला तो उनकी सरकारी नौकरी चली जाएगी.
नरेश मीणा ने क्या कहा था?
मीणा ने कहा था कि एसडीएम को थप्पड़ मारने के बाद मैंने मांग की थी कि कलेक्टर यहां आएं, लेकिन कलेक्टर नहीं आईं. इसी को लेकर मैं धरने पर बैठा था, लेकिन मेरे लिए खाना और गद्दा आ रहे थे, उन्हें भी पुलिस ने नहीं आने दिया और फिर मेरे समर्थकों पर लाठीचार्ज किया गया. मुझ पर मिर्ची बम से हमला किया, जिसमें मैं बेहोश हो गया और फिर मेरे साथी मुझे लेकर पांच किलोमीटर दूर किसी घर में छिपा दिया. मैंने कहा कि एसपी यहां आएं और मेरी गिरफ्तारी करें, एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की जाए.