जैसलमेर के पोखरण में रेलवे में इलेक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा है. इसमें रॉ मेटेरियल की सुरक्षा में दो लड़के तैनात थे. दोनों ट्रेन की पटरियों पर सो रहे थे. उन्होंने गाने सुनने के लिए कान में ब्लूटूथ इयरफोन लगा रखे थे. इसी बीच उनके ऊपर से ट्रेन गुजरने से दर्दनाक मौत हो गई. जिसने भी इस घटना के बारे में सुना, उसकी रूह कांप गई.
ये हादसा सेल्वी गांव के पास ओढानिया पुल पर रात 2.30 से 3 बजे के बीच हुआ. इसको लेकर पुलिस उपाधीक्षक भवानी सिंह ने बताया कि दोनों युवक जिले के पोखरण के रहने वाले थे. रानीखेत एक्सप्रेस से पहले पोखरण रेलवे स्टेशन से जैसलमेर के लिए रात 2:30 बजे मालगाड़ी निकली थी. ऐसे में हादसा संभवत: रात 2:30 से 3 बजे के बीच हुआ है. सुबह करीब 5 बजे रेलवे पुलिस ने पुलिस को सूचना दी थी.
यह भी पढ़ें: ईयरफोन लगाकर रेलवे ट्रैक पर चल रहा था लड़का, ट्रेन से कटकर दर्दनाक मौत
सूचना मिलने पर उन्होंने घटनास्थल का मौका मुआयना किया. प्रथम दृष्टया ये बात पता चली है कि दोनों युवक रेल की पटरियों पर सोये हुए थे और ब्लूटूथ इयरफोन लगा रखे थे. इससे माना जा रहा है कि गाने सुनते-सुनते उन्हें नींद आ गई होगी और ट्रेन की चपेट में आ गए. ब्लूटूथ के टुकड़े भी बरामद हुए हैं.
पुलिस ने शवों को मॉर्चरी में रखवाया. इसके बाद परिजन और ग्रामीण मुआवजे व अन्य मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए. परिजनों की सहमति के बाद पोस्टमार्टम करवाया जाएगा. परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है. उन्होंने एलएनटी कंपनी पर लापरवाही और सुरक्षा उपकरण न देने का आरोप लगाया.
रेलवे ASI मुखराम ने बताया कि रानीखेत एक्सप्रेस के ड्राइवर ने वॉकी-टॉकी के जरिए सुबह 5 बजे पोखरण रेलवे गार्ड को सूचना दी. बताया कि सेल्वी गांव के पास ट्रैक पर दो शव पड़े हैं. सूचना पर रेलवे पुलिस और पुलिस मौके पर पहुंची. शिनाख्त होने के बाद परिजनों को सूचना दी गई.
दूसरी तरफ परिजनों ने बताया कि दोनों युवक अविवाहित और स्कूल टाइम से दोस्त थे. चार दिन पहले ही सुरक्षा गार्ड की नौकरी पर लगे थे. उनकी सैलरी 15 हजार रुपये महीना तय हुई थी. प्रद्युम्न पहले डीजे पार्टी और सजावट की दुकान पर और महेंद्र पेटिंग का काम करता था.
दोनों का ड्यूटी टाइम रात 9 बजे से सुबह 4 बजे तक था. दोनों बाइक से साथ जाते थे. एलएनटी कंपनी की सिक्योरिटी देखने वाली कंपनी न्यू दिल्ली सिक्योरिटी सर्विस ने रेलवे ट्रैक के पास इलेक्ट्रिक वायर की सुरक्षा के लिए दोनों को 4 किलोमीटर का एरिया दिया था.
प्रद्युम्न पोखरण में खटीक बस्ती का रहने वाला था. तीन भाई-बहन में वह दूसरे नंबर का था. उसके पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी. बड़ा भाई सरकारी हॉस्पिटल में मरीजों के रजिस्ट्रेशन की पर्ची काटने का काम करता है. सबसे छोटी बहन दिव्यांग है. वहीं, महेंद्र चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर का था. वो पोखरण में भवानीपुरा कच्ची बस्ती का रहने वाला था. बड़ा भाई दिहाड़ी मजदूरी करता है. दो छोटी बहन हैं.