राजस्थान के उदयपुर में नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर हुई कन्हैयालाल की हत्या के बाद पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. अब इस केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है. एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने शनिवार को इन आरोपियों को 12 जुलाई तक एनआईए की कस्टडी में भेज दिया है. इस बीच एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसमें दिखाई दे रहा है कि कैसे पुलिस ने इन आरोपियों को गिरफ्तार किया.
दरअसल कन्हैयालाल की हत्या करने के बाद आरोपी रियाज और मोहम्मद गोस जब 2611 नंबर प्लेट की मोटरसाइकिल से भाग रहे थे तभी उदयपुर पुलिस को लोकल मुखबिर से लीड मिली थी, जिसके बाद पुलिस दोनों आरोपियों को पकडने के लिए पीछे लग गई थी. पुलिस द्वारा आरोपियों का पीछा करने की घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है.
इस मामले से जुड़े सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि कैसे पुलिस वाले आरोपियों के पीछे बाइक, लाल बत्ती वाली वैन और कुछ पैदल ही दौड़ लगा रहे थे. दरअसल जब आरोपी भाग रहे थे तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेरने के लिए पैदल ही दौड़ लगा ली. उसके बाद कुछ पुलिस वाले बाइक और फिर कुछ वैन से आरोपियों का पीछा कर रहे थे. उसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को अपने कब्जे में ले लिया था.
पुलिस ने बाद में दो आरोपियों को किया गिरफ्तार
उदयपुर की घटना में जो बाद में दो और आरोपी मोहसिन और आसिफ गिरफ्तार किए गए हैं. ये दोनों मुख्य आरोपी गौस और रियाज के साथ साजिश और वारदात में शामिल थे. वारदात वाले दिन मौके पर दो बाइक लेकर मौजूद थे ताकि अगर वो पकड़े जाते तो भीड़ से छुड़ाकर ले जाएं. अगर आरोपियों की बाइक स्टार्ट नहीं बोती तो उन्हें बाइक पर ले भागें.
इन दोनों आरोपियों को इस घटना की प्लानिंग के बारे में पूरी जानकारी थी. अगर कन्हैया लाल दुकान नहीं खोलता तो कन्हैया लाल को घर में घुसकर मारने की प्लानिंग कर रहे थे. बता दें कि कन्हैया लाल की हत्या से पहले कई बार आरोपियों की मीटिंग हुई थी. रियाज ने आसिफ और मोहसिन को रेडिक्लाइज करके इस वारदात में साथ देने के लिए तैयार किया था. आसिफ और मोहसिन कन्हैया लाल की हत्या की प्लानिंग से लेकर हथियार बनाने तक में शामिल रहे.
दुकान में घुसकर की थी कन्हैयालाल की हत्या
बीते 28 जून को उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. उसी दिन शाम तक दो आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया था. बताया जा रहा है कि कन्हैयालाल के मोबाइल से नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट हुई थी. इसके चलते ही रियाज और गौस मोहम्मद ने उनकी हत्या कर दी थी. राजस्थान सरकार की ओर से घटना की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था. बाद में कोर्ट ने इस केस को एनआईए को सौंप दिया था.