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केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी? राजस्थान हाईकोर्ट में दायर की याचिका

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जोधपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. ये याचिका विविध आपराधिक याचिका के तहत दायर की गई है, जिसमें गिरफ्तारी से बचने के लिए अंतरिम राहत मिलती है. फिलहाल, इस याचिका पर सुनवाई की तारीख तय होना है. राजस्थान में संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले को लेकर सियासत गरम चल रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शेखावत पर आरोप लगाए थे.

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केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत. (फाइल फोटो)
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत. (फाइल फोटो)

संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव के घोटाले मामले में घिरे केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अब राजस्थान हाईकोर्ट की शरण ली है. शेखावत की तरफ से जोधपुर हाईकोर्ट में गिरफ्तारी से बचने के लिए धारा 482 के तहत याचिका दायर कर दी गई है. हालांकि याचिका पर सुनवाई कब होगी, यह तय नहीं हुआ है, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट के सर्वर पर याचिका रजिस्ट्रेशन की जानकारी दी गई है. माना जा रहा है कि शेखावत को अपनी गिरफ्तारी की आशंका है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस मामले को लगातार उठा रहे हैं.

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इससे पहले केंद्रीय मंत्री शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दिल्ली में दायर मानहानि का केस दायर किया है. अब गिरफ्तारी से बचने के लिए राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर किए जाने से राजनीतिक माहौल गरमा गया है. शेखावत की याचिका 17 मार्च को राजस्थान हाईकोर्ट में रजिस्टर्ड हुई है. ये याचिका विविध आपराधिक याचिका के तहत दायर की गई है, जिसमें गिरफ्तारी से बचने के लिए अंतरिम राहत मिलती है. फिलहाल, इस याचिका पर सुनवाई की तारीख तय होना है.

शेखावत ने गहलोत के खिलाफ मानहानि की शिकायत की है

बताते चलें कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में 900 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हुआ था, जिसमें हजारों लोगों के जीवन की कमाई फंस गई है. इस केस की जांच अगस्त 2019 से राजस्थान पुलिस की स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) कर रही है. मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को घेर रहे हैं. उन्होंने पिछले दिनों शेखावत पर शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसके बाद शेखावत ने गहलोत के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करने के लिए याचिका लगाई है. केंद्रीय मंत्री का कहना है कि गहलोत ने संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी घोटाले में उनके खिलाफ मानहानिकारक बयान दिए हैं.

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कोर्ट ने जांच के दिए हैं आदेश

शेखावत ने गहलोत के खिलाफ आपराधिक मानहानि के लिए आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा चलाने की मांग की है. केंद्रीय मंत्री ने वित्तीय मुआवजे की भी मांग की है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को राजस्थान के मुख्यमंत्री के खिलाफ मानहानि की शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया है. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने संबंधित संयुक्त पुलिस आयुक्त को मामले की जांच या तो स्वयं या एक अधिकारी के माध्यम से (इंस्पेक्टर रैंक से नीचे नहीं) करने का निर्देश दिया और 25 अप्रैल को जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है.

तीन सवालों के जवाब तलाशेगी पुलिस?

मजिस्ट्रेट ने कहा कि मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश दिया जाता है कि संबंधित संयुक्त आयुक्त जांच की निगरानी करेंगे. जांच को तीन सवालों के जवाब खोजने का प्रयास करना चाहिए - क्या शिकायतकर्ता शेखावत को गहलोत द्वारा संजीवनी घोटाले में 'आरोपी' के रूप में संबोधित किया गया था? क्या गहलोत ने कहा कि शेखावत के खिलाफ आरोप साबित हुए हैं? क्या शेखावत या उनके परिवारिक सदस्यों को घोटाले की जांच में 'आरोपी' के रूप में रखा गया है?

कोर्ट ने गहलोत को समन जारी करने पर रोक लगाई

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बताते चलें कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत ने 4 मार्च को शिकायत दर्ज कराई थी. सांसद-विधायक के खिलाफ दर्ज मुकदमों की जांच के लिए विशेष अदालत राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले में गवाहों के बयान भी दर्ज हो चुके हैं. शेखावत ने आरोप लगाया है कि सीएम अशोक गहलोत ने मेरे और मेरे परिवार का नाम इस घोटाले में घसीटा है, जिससे मेरी सामाजिक छवि को गहरा नुकसान पहुंचा है. शुक्रवार शाम से ही कोर्ट के फैसले पर सबकी नजर थी. कोर्ट ने फिलहाल अशोक गहलोत को समन जारी करने पर रोक लगाई है.

संजीवनी कॉपरेटिव मामले में अशोक गहलोत ने कई बार गजेंद्र सिंह शेखावत को दोषी बताया है. उनके इस बयान पर शेखावत ने मानहानि का केस किया है. दिल्ली में इस वक्त दो मामले चल रहे हैं, जिसमें शेखावत और गहलोत आमने-सामने हैं. मानहानि मामले के अलावा फोन टेपिंग मामले में भी दिल्ली क्राइम ब्रांच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा से लगातार पूछताछ कर रही है. अभी दो दिन पहले ही लोकेश शर्मा से करीब 10 घंटे तक लंबी पूछताछ चली है.

क्या है संजीवनी घोटाला 

संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत 2008 में रजिस्टर्ड कराया गया था. इसके बाद 2010 में ये सोसाइटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल गई. इसमें निवेश करने वालों को अच्छे रिटर्न का लालच दिया गया. करीब 1लाख से अधिक लोगों ने इस सोसाइटी में लगभग 900 करोड़ रुपये कानिवेश किया. इसके बाद निवेशकों के पैसे को गलत तरीके से लोन पर दिया गया और ब्याज नहीं लिया गया. देखते ही देखते सोसाइटी ने कई राज्यों में अपनी शाखाएं खोल दीं और फर्जी कंपनियां खोलकर लोन बांटे गए. इस सोसाइटी के पहले मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम सिंह थे, जो घोटाले की जांच में प्रमुख नाम भी हैं. विक्रम सिंह को ही इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है जिनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है. विक्रम सिंह और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच कनेक्शन भी बताया जाता है और दोनों की साथ में तस्वीर वायरल हुई थी.

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