देश में गिद्धों की संख्या कम हो रही है, लेकिन सरिस्का में गिद्धों का कुनबा बढ़ रहा है. सरिस्का घूमने के लिए आए पर्यटकों को गिद्धों का झुंड नजर आया. यह देखकर पर्यटक खासे खुश दिखाई दिए. पर्यटकों ने इन पलों को अपने कैमरे में कैद किया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. सरिस्का में करणा का बास एनिकट के पास गिद्धों का झुंड बैठ कर बाघ द्वारा किए गए शिकार को खा रहे थे. इन पलों को देखकर पर्यटक खासे रोमांचित नजर आए.
राजस्थान में भर्तहरि के आसपास की पहाड़ियों व सरिस्का के मैदान क्षेत्र में गिद्धों के अलग-अलग झुंड नजर आने लगे हैं. लंबे समय बाद सरिस्का में गिद्ध दिखाई दे रहे हैं. सरिस्का में माइग्रेटरी प्रजाति के यूरेशियन और रेड हेड्स दिखाई देते हैं. यूरेशियन गिफ़ोन प्रजाति के गिद्दों के पंख पर सफेद बाल होते हैं. जबकि रेड हेड्स गिद्धों का मुंह लाल होता है. सरिस्का में लंबी चोंच वाले गिद्ध सबसे ज्यादा पाए जाते हैं.
गिद्धों के आराम करने का ठिकाना है सरिस्का
गिद्धों के आराम करने के सरिस्का में कई प्वाइंट बने हुए हैं. इनमें गोपी जोहरा, देवरा चौकी, टहला में मानसरोवर बांध, पांडुपोल काली पहाड़ी के पास खड़ी चट्टानें शामिल है. जंगल के लिए गिद्धों को बेहतर माना जाता है. विशेषज्ञ की मानें तो गिद्धों की संख्या में कमी का मुख्य प्रदूषण का बढ़ना है. जबकि गिद्धों को पर्यावरण का हितैषी माना जाता है. वो धरती पर संक्रमण रोकने का काम करते हैं. साथ ही स्वच्छता में सहयोगी भी होते हैं.
पर्यावरण मित्र होते हैं गिद्ध
मृत पशुओं की सफाई का काम गिद्धों दों व चील ही करते थे. पिछले कुछ समय से चील भी विलुप्त हो रहे हैं. देश में वैसे तो नौ प्रजाति के गिद्ध हैं. इनमें 7 प्रजातियों के गिद्ध राजस्थान में पाए जाते हैं. सरिस्का में भी इनमें से ज्यादा प्रजातियां के गिद्धों की संख्या मौजूद है. सरिस्का के आंकड़ों पर नजर डालें तो इंडियन वल्चर प्रजाति के करीब 300 गिद्ध सरिस्का में हैं. इसके अलावा एजिप्सियन 100, सिनेरियर गिद्ध 50 व रेड हेडेड 50 गिद्ध हैं.चार साल पहले तक गिद्धों की संख्या सरिस्का में 50 होने का अनुमान था. लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 500 से अधिक हो चुकी है. वन्य जीव विशेषज्ञों की माने तो जहां बाघों की मौजूदगी ज्यादा होती है. वहां गिद्ध जरूर मिलते हैं.