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कौन हैं अमराराम, जिन्होंने छह बार हार के बाद सीकर से जीता लोकसभा चुनाव

राजस्थान के सीकर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) उम्मीदवार अमराराम ने जीत हासिल का पार्टी का 35 सालों लंबा सूखा खत्म कर दिया है. इस जीत से पहले अमराराम ने लोकसभा चुनाव में लगातार छह बार हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2024 के आम चुनाव में उनकी ये जीत उनकी पार्टी के लिए बेहद खास है.

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CPI (M) सांसद अमराराम चौधरी. (photo source @cpimspeak X)
CPI (M) सांसद अमराराम चौधरी. (photo source @cpimspeak X)

4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. राजस्थान के लोकसभा चुनाव नतीजे इस बार लेफ्ट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के लिए बहुत बड़ी उम्मीद लेकर आए हैं. लेफ्ट पार्टी ने करीब तीन दशक बाद राजस्थान में एक संसदीय सीट पर जीत हासिल की है. लेफ्ट के प्रत्याशी अमराराम चौधरी ने सीकर सीट से जीत दर्ज की है. उनके लिए ये जीत बेहद खास है, क्योंकि इससे पहले उन्हें चुनाव में छह बार हार का मुंह देखने पड़ा था. आइए जानते कभी कबड्डी खेलने वाले और सरकारी शिक्षक रहे अमराराम की राजनीति के मैदान में एंट्री कैसे हुई और लगातार छह लोकसभा चुनाव में हार के बाद ये जीत कितनी खास है.

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कौन हैं अमराराम 

सीकर से नवनिर्वाचित सांसद अमराराम पोरसवाल का जन्म 5 अगस्त 1955 को राजस्थान के सीकर जिले के मुंडवाड़ा गांव के एक जाट परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक सरकारी शिक्षक की नौकरी की. इस दौरान उन्होंने राजस्थान के धोद और नागावा के स्कूलों में छात्रों को पढ़ाया, लेकिन जल्द ही नौकरी छोड़ दी और सक्रिय रूप से राजनीति में शामिल हो गए. अमराराम कबड्डी के खिलाड़ी भी रहे हैं. उन्होंने साल 1971 में कर्नाटक के शिमोगा में आयोजित नेशनल ओपन चैंपियनशिप में राजस्थान की ओर भाग लिया था.

ऐसे हुई राजनीति में एंट्री

कॉलेज में पढ़ाई के दौरान अमराराम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के छात्र संगठन, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) में शामिल हो गए. आगे चल कर साल 1979 में उन्होंने कल्याण सिंह कॉलेज का छात्र संघ अध्यक्ष चुना गया. इसी साल अमराराम को एसएफआई की राजस्थान इकाई का प्रदेश उपाध्यक्ष चुना गया था.

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दो बार सरपंच, 4 बार विधायक

राजनीति में एंट्री के बाद अमराराम ने सरपंच का चुनाव लड़ा. वह दो बार ग्राम पंचायत मुंडवाड़ा से 1983 और 1993 में सरपंच का चुनाव जीता. पहली बार सरपंच का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने साल 1985 में सीपीआई (एम) के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उस वक्त वह महज दस हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.

इसके बाद उन्होंने धोद विधानसभा क्षेत्र से साल 1993 में कांग्रेस के रामदेव सिंह को हराकर पहली बार विधायक बने. इसके बाद अमराराम ने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा और साल 1998, 2003 में लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. फिर उन्होंने साल 2008 में राजस्थान के दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के नारायण सिंह को हराकर चौथी बार विधायक चुने गए. हालांकि, वह साल 2013 में विधानसभा चुनाव हार गए.

पहली बार 1996 में लड़ा चुनाव

2024 के आम चुनाव में सीकर लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले अमराराम चौधरी ने पहली बार 1996 में सीकर लोकसभा सीट से पहला चुनाव लड़ा था. उस वक्त वह महज 56 हजार मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. इसके बाद से उन्होंने छह बार सीकर लोकसभा सीट से लगातार चुनाव लड़ा और हर बार हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, वह सांसद बनने से पहले चार बार सीकर से विधायक रह चुके हैं.

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राजस्थान में माकपा की दूसरी जीत

बता दें कि आजादी के बाद हुए पहले चुनाव के बाद से सीपीआई और साल 1967 से सीपीआई (एम) लगातार चुनाव रही है, लेकिन राज्य में उसे अब तक दो बार ही जीत हासिल की हुई हैं. सबसे पहले माकपा प्रत्याशी श्योप सिंह मक्कासर ने बीकानेर संसदीय क्षेत्र से साल 1989 के आम चुनाव जीता था.

साल 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 293 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक को 234 सीटें मिली हैं. चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की उम्मीद से इतर नतीजों ने सभी को चौंका दिया है. बीजेपी को उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में भारी नुकसान हुआ है.

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