धनतेरस का त्योहार इस साल 13 नवंबर को मनाया जाएगा. धनतेरस के दिन खरीदारी के साथ ही दीपक जलाने का भी खास महत्व होता है. वास्तुशास्त्र में दिशाओं का बहुत ध्यान रखा जाता है. वास्तुशास्त्र के अनुसार धनतेरस से दीपक जलाने की शुरूआत की जाती है जो लगातार 5 दिनों तक चलता है. दक्षिण दिशा में यम का दीपदान बहुत जरूरी है.
धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन और भाईदूज पांच दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में हर दिन दीपक जलाना शुभ माना जाता है. कई जगहों पर दिवाली लाभ पंचमी तक मनाई जाती है. इन 10 दिनों में दीपोत्सव का पर्व मनाया जाता है. इन 10 दिनों में लोग तरह-तरह के दीपक जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं.
ज्योतिर्विद कमल नंदलाल से जानते हैं कि धनतेरस के दिन से लेकर लाभ पंचमी तक वास्तु के अनुसार किस दिशा में कौन सा विशेष दीपक जलाने से आपको ज्यादा लाभ मिलेगा.
अगर आपके घर का मुख्य द्वार आग्नेय कोण (Agney Kon) की तरफ है तो आपको सुंगंधित तेल का दीपक जलाना चाहिए. एक बड़े मिट्टी के दीपक में चमेली या कोई भी सुंगंधित तेल डालें और इसमें एक पीली कौड़ी डालकर जलाएं.
अगर आपका घर दक्षिण दिशा में है तो आपको इस दिशा में चमेली के तेल का दीपक जलाना है. दीपक जलाते समय इसमें थोड़ी सी राई जरूर डालें. अगर आपके पास चमेली का तेल नहीं तो आप सरसों के तेल में चमेली का इत्र डालकर भी दीपक जला सकते हैं. इसमें काली राई भी डाल सकते हैं.
अगर आपके घर का मुख्य द्वार अगर नैरेत्य कोण (Nairutya Kon)यानी दक्षिण-पश्चिम की तरफ है तो इस दिशा की तरफ सरसों के तेल का दीपक जलाएं लेकिन इसमें लौंग जरूर डालें.
यदि आपके घर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की तरफ है तो आपको तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए. साथ ही इस दीपक में काली किशमिश जरूर डालें.
अगर आपका घर वायव्य कोण (Vayavya Kon)यानी उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर है तो आपको धनतेरस के दिन नारियल के तेल का दीपक जलाना है और इसमे मिश्री जरूर डालें.
जिन लोगों के घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की तरफ है उन लोगों को धनतेरस के दिन उत्तर दिशा में नारियल तेल का दीपक जलाना चाहिए लेकिन उसमें इलायची जरूर डालें.