गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. आज घर घर में गणेश जी विराजेंगे. हर ओर उत्साह छाया हुआ है. सुबह से ही गणेश जी के आगमन की तैयारियां शुरू हो गईं हैं. प्रथम पूज्य गणेश जी के भोग, प्रसाद को लेकर सभी जानते हैं, लेकिन कभी भी गणेश पूजन के दौरान पवित्र तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है. आगे की स्लाइड में पढ़ें इसके पीछे की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गणपति जी गंगा किनारे तपस्या कर रहे थे. उसी गंगा तट पर धर्मात्मज कन्या तुलसी भी अपने विवाह के लिए तीर्थयात्रा करती हुईं, वहां पहुंची थी. गणेश जी रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे थे और चंदन का लेपन के साथ उनके शरीर पर अनेक रत्न जड़ित हार में उनकी छवि बेहद मनमोहक लग रही थी. (फोटो/Getty images)
तपस्या में विलीन गणेश जी को देख तुलसी का मन उनकी ओर आकर्षित हो गया. उन्होंने गणपति जी को तपस्या से उठा कर उन्हें विवाह प्रस्ताव दिया. तपस्या भंग होने से गणपति जी बेहद क्रोध में आ गए. (फोटो/Getty images)
गणेश जी ने तुलसी देवी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया. गणेश जी से ना सुनने पर तुलसी देवी बेहद क्रोधित हो गईं, जिसके बाद तुलसी देवी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे. (फोटो/Getty images)
वहीं गणेश जी ने भी क्रोध में आकर तुलसी देवी को श्राप दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा. ये श्राप सुनते ही तुलसी जी गणेश भगवान से माफी मांगने लगीं. (फोटो/Getty images)
तब गणेश जी ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा, लेकिन इसके बाद तुम पौधे का रूप धारण कर लोगी. (फोटो/Getty images)
गणेश भगवान ने कहा कि तुलसी कलयुग में जीवन और मोक्ष देने वाली होगी, लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग नहीं होगा. (फोटो/Getty images)