Karwa chauth 2020: करवा चौथ का व्रत बुधवार, 4 नवंबर 2020 को रखा जाएगा. हर साल की तरह इस साल भी बहुत सी महिलाओं का ये पहला करवा चौथ होगा. हालांकि ज्योतिषविदों के मुताबिक, इस साल से करवा चौथ की शुरुआत करना अशुभ हो सकता है. शादी के बाद जिनका पहला करवा चौथ है या जो पहली बार ये व्रत करने जा रहे हैं, वे अगले साल से करवा चौथ की शुरुआत करें तो बेहतर होगा.
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ज्योतिर्विदों के मुताबिक, करवा चौथ की शुरुआत विवाह के पहले, तीसरे, पांचवे या सातवें वर्ष से की जा सकती है. सामान्यतः विवाह के बाद तुरंत ही इस व्रत को शुरू कर लेना चाहिए. लेकिन इस वर्ष ऐसा करना उचित नहीं है.
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ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल अधिक मास रहा है, इसलिए करवा चौथे के व्रत का आरम्भ इस वर्ष नहीं किया जा सकता है. जिस वर्ष अधिकमास यानी मलमास लगता है, उस साल से करवा चौथ की शुरुआत नहीं होती है. हर तीसरे वर्ष के अंतराल में ऐसा होता है. इस साल 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिकमास रहा था.
करवा चौथ का व्रत केवल सुहागिन या जिनका रिश्ता तय हो गया है, वही महिलाएं रख सकती हैं. यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला रखा जाता है. व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र न पहनें. लाल और पीला वस्त्र सबसे अच्छा माना जाता है. इस दिन दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए.
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कहते हैं कि भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को और भगवान शिव ने पार्वती को इस व्रत के बारे में बताया था. करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. मिटटी के पात्र जिससे जल अर्पित करते हैं, उसे करवा कहा जाता है और चतुर्थी तिथि को चौथ कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश, गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है.
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चंद्रमा को सामन्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है. इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन मैं सुख शांति और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. यह पर्व सौंदर्य प्राप्ति का पर्व भी है. इसे मनाने से रूप और सौंदर्य भी मिलता है. इस दिन सौभाग्य प्राप्ति के लिए रात्रि को प्रयोग भी किए जाते हैं, जो निष्फल नहीं होते हैं.
चंद्रमा के दर्शन के लिए थाली सजाएं. थाली मैं दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुमकुम, रोली तथा चावल की बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें. संपूर्ण श्रृंगार करें और करवे में जल भर लें. मां गौरी और गणेश की पूजा करें. चंद्रमा के निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा को देखें. अर्घ्य दें, करवा चौथ व्रत की कथा सुनें. उसके बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करें. अपनी सास या किसी वयोवृद्ध महिला को श्रृंगार का सामान दें तथा उनसे आशीर्वाद लें.