इस बार शनि जयंती 10 जून यानी आज पड़ रही है. शनि, न्याय के देवता और दंडाधिकारी हैं. ज्योतिषों की मानें तो शनि की साढ़ेसाती अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालती है. शनि के बुरे प्रभाव से व्यक्ति रंक और अच्छे प्रभाव से राजा तक बन सकता है.
अगले 50 वर्षों तक शनि की साढ़ेसाती का 12 राशियों पर प्रभाव रहने वाला है. शनि जयंती पर शनि को आसानी से प्रसन्न कर इन दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है. पंडित दीपक मालवीय से जानते हैं शनि जयंती पर शनि देव को प्रसन्न करने की विधि.
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को शनि जयंती मनाई जा रही है. पंडित दीपक मालवीय के अनुसार, मनुष्य के द्वारा किए गए अच्छे बुरे कर्मों का फल शनि देव प्रदान करते हैं और यह गरीब, मजदूर, कामगार लोगों के बीच और मदिरालय तक में निवास करते हैं.
वर्तमान समय में शनि ग्रह मकर राशि में गोचर कर रहे हैं जब शनि महाराज किसी राशि में गोचर करते हैं तो उसके एक राशि आगे अर्थात कुंभ और एक राशि पीछे शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाती है.
अगले 50 वर्षों तक शनि की साढ़ेसाती किन-किन राशियों पर आएगी. इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय बताते हैं कि मेष राशि पर 29 मार्च 2025 से 31 मई 2032 तक शनि की साढ़ेसाती रहेगी, तो वहीं वृष राशि पर 3 जून 2027 से 13 जुलाई 2034 तक, मिथुन पर 8 अगस्त 2029 से 27 अगस्त 2036 तक, कर्क पर 31 मई 2032 से 22 अक्टूबर 2038 तक, सिंह राशि पर 13 जुलाई 2034 से 29 जनवरी 2041 तक, कन्या राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती 27 अगस्त 2036 से 12 दिसंबर 2043 तक, तुला पर 22 अक्टूबर 2038 से 8 दिसंबर 2046 तक, वृश्चिक पर 28 जनवरी 2041 से 3 दिसंबर 2049 तक, धनु पर 12 दिसंबर 2043 से 3 दिसंबर 2049 तक, मकर पर 26 जनवरी 2017 से 29 मार्च 2025 तक, कुंभ पर 24 जनवरी 2020 से 3 जून 2027 तक, मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती 29 अप्रैल 2022 से 8 अगस्त 2029 तक प्रभावी रहेगी.
विभिन्न राशियों पर लोगों की जन्मांग कुंडली के आधार पर शनिदेव अनुकूल और प्रतिकूल फल प्रदान करेंगे. शनि देव को प्रसन्न करने और शनि जयंती मनाने के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि जिनके ऊपर शनि की साढ़ेसाती का प्रतिकूल प्रभाव रहेगा उन लोगों को इस दिन खास उपाय करने चाहिए.
ये लोग शनि जयंती के दिन भगवान शनि का व्रत और गरीबों में दान करें. साथ ही जरूरतमंद लोगों में अन्न और वस्त्र का भी वितरण करें और शनिवार के दिन हनुमान जी का दर्शन करें.
हनुमान जी की कृपा से शनि महाराज अधिक परेशान नहीं करते हैं. साथ ही इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दीपक जलाना चाहिए. इन सभी अच्छे कार्यों को करने से राशियों पर इनका कम प्रभाव पड़ता है.
शनि जयंती पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. इस अवसर पर प्रातः काल स्नान करके किसी मंदिर में जाकर मूर्ति स्वरूप शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. शनि के ऊपर सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए. इसके बाद जल से स्नान कराकर पुष्प, चंदन, दीपक और नैवेद्य से उनका पूजन करना चाहिए.