Kalashtami 2023: अधिकमास की कालाष्टमी 8 अगस्त, मंगलवार यानी आज मनाई जा रही है. कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के ही अवतार काल भैरव की पूजा उपासना की जाती है. अधिकमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन पूजा करने से घर में फैली हुई सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार कालाष्टमी के दिन ही भगवान शिव ने बुरी शक्तियों का नाश करने के लिए रौद्र रुप धारण किया था और काल भैरव भगवान शिव का ही एक स्वरूप है. काल भैरव के साथ साथ सावन के कारण आज के दिन भगवान शिव की पूजा की जाएगी.
अधिकमास कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2023 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. अष्टमी तिथि की शुरुआत 8 अगस्त यानी आज सुबह 04 बजकर 14 मिनट से शुरू हो चुकी है और अष्टमी तिथि का समापन 9 अगस्त यानी कल सुबह 3 बजकर 52 मिनट पर होगा. साथ ही आज सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण भी होने जा रहा है इस योग की शुरुआत रात 1 बजकर 32 से सुबह 05 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.
अधिकमास कालाष्टमी पूजन विधि (kalashtami 2023 Pujan Vidhi)
इस दिन सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें, साफ कपड़े पहनें और उसके बाद भैरव देव की पूजा करें. इस दिन की पूजा में मुख्य रूप से भैरव देव को शमशान घाट से लायी गयी राख चढ़ाएं जानें का विधान है. काले कुत्ते को भैरव देव की सवारी माना गया है, ऐसे में कालाष्टमी के दिन भैरव देव के साथ ही काले कुत्ते की भी पूजा का विधान बताया गया है. पूजा के बाद काल भैरव की कथा कहने या सुनने से भी इंसान को लाभ मिलता है. इस दिन खासतौर से काल भैरव के मंत्र ''ॐ काल भैरवाय नमः'' का जाप करना भी फलदायी और बेहद शुभ माना जाता है. इसके साथ ही इस दिन मां बंगलामुखी का अनुष्ठान भी करना बेहद शुभ माना गया है. इस दिन अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करने से पुण्य मिलता है. कालाष्टमी के दिन मंदिर में जाकर कालभैरव के समक्ष तेल का एक दीपक जरूर जलाएं.
अधिकमास कालाष्टमी के दिन क्या करें और क्या न करें (Kalashtami Dos and Donts)
1. कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा करने से व्यक्ति को भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
2. कालाष्टमी के दिन भैरव मंदिर में सिंदूर, सरसों के तेल, नारियल, चना इत्यादि का दान करना चाहिए.
3. कालाष्टमी के दिन भैरव देवता की तस्वीर या प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और श्री काल भैरव अष्टक का पाठ करें.
4. काल भैरव की सवारी काले कुत्ते को कालाष्टमी के दिन मीठी रोटियां खिलाएं.
5. कालाष्टमी के दिन भूल से भी कुत्तों पर अत्याचार ना करें.
कालभैरव मंत्र (Kalashtami Mantra)
ॐ कालभैरवाय नम:
ॐ भयहरणं च भैरव:
ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं