ऋषि-मुनियों की मानें तो माघ का महीना सबसे शुभ और पवित्र महीना होता है. इसलिए माघ महीने में व्रत और तप का महत्व कई गुना फलदायी रहता है. इसी महीने के कृष्ण पक्ष एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं.
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो इस दिन श्रीहरि विष्णु की विशेष उपासना से इंसान के सारे बुरे कर्मों और पापों का नाश हो जाता है. इस दिन तिल के विशेष प्रयोग से हर मनोकामना पूरी हो सकती है.
षटतिला एकादशी का महत्व
- माघ का महीना भगवान विष्णु का महीना माना गया है
- एकादशी की तिथि विश्वेदेवा की तिथि मानी गई है
- इस दिन श्रीहरि के साथ सभी देवताओं की कृपा बरसती है
- ऐसा अद्भुत संयोग केवल षटतिला एकादशी को ही मिलता है
- इस दिन श्रीहरि और विश्वेदेवा की उपासना से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं
- षटतिला एकादशी के दिन कुछ प्रयोगों से ग्रहों की बाधा शांत हो सकती है
- इस दिन श्रीहरि की उपासना से मुक्ति और मोक्ष का वरदान भी मिलता है
इस षटतिला एकादशी को कौन से ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है
- चन्द्रमा जल तत्व की राशि वृश्चिक में होगा
- देवताओं के गुरु और दैत्यों के गुरु का संबंध बना रहेगा
- सूर्य भी चन्द्रमा के ही नक्षत्र में होगा
- शनि और सूर्य का भी योगकारक संबंध बना रहेगा
- इस षटतिला एकादशी के स्नान से मुक्ति और मोक्ष के योग बनेंगे
जानें षटतिला एकादशी व्रत के नियम
- यह व्रत दो तरह रखा जाता है: निर्जल या फलाहारी
- निर्जल व्रत पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति को ही रखना चाहिए
- सामान्य लोगों को फलाहारी या जलाहारी उपवास रखना चाहिए
- इस व्रत में तिल का उबटन लगाएं. जल में तिल डालकर स्नान करें
- षटतिला एकादशी व्रत में तिल के दान और सेवन का विशेष महत्व है
- इस दिन गोबर, कपास और तिल का पिंड बनाकर उसका पूजन करें
- शाम के समय उसी पिंड से हवन करें, इससे मुक्ति और मोक्ष की संभावना बढ़ेगी
कैसे करें षटतिला एकादशी पर विशेष स्नान
- सुबह या शाम नहाने से पहले संकल्प लें
- पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें, फिर स्नान करना शुरू करें
- साफ कपड़े पहनें और तिल मिले जल से सूर्य को अर्घ्य दें
- फिर श्री हरि के मंत्र का जाप करें और दान करें
- मंत्र होगा: ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा
- इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रखना उत्तम होगा
षटतिला एकादशी के दिन कैसे करें श्री हरि की उपासना
- तिल और गुड़ मिलाकर लड्डू बनाएं
- तिल के दूसरे पकवान भी बना सकते हैं
- रात में भगवान् विष्णु के सामने घी का एकमुखी दीपक जलाएं
- फिर श्रीहरि को तिल के व्यंजनों का भोग लगाएं
- अपनी कामना के अनुसार श्रीहरि के मंत्र का जाप करें
- तिल का प्रसाद खुद खाएं और लोगों में भी बांटें
वैसे जो लोग इस एकादशी का व्रत नहीं कर पाते, उन्हें भी इस व्रत का शुभ फल मिल सकता है. बस एकादशी के दिन भोजन और जीवनचर्या सात्विक रखनी होगी.
देखें वीडियो: