भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक भगवान गणेश की उपासना के लिए गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना चतुर्थी को की जाती है और विसर्जन चतुर्दशी को किया जाता है. इसे नौ दिन गणेश नवरात्रि भी कहा जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवान फिर से कैलाश पर्वत पहुंच जाते हैं.
गणेश चतुर्थ पर स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है. इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. कुछ विशेष उपाय करके इस दिन जीवन कि मुश्किल से मुश्किल समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. इस बार अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन का पर्व मंगलवार, 1 सितंबर को मनाया जा रहा है.
क्या तरीका है विसर्जन का?
गणेश चतुर्थी पर उपवास रखना जरूरी है या केवल फलाहार करें. घर में स्थापित प्रतिमा का विधिवत पूजन करें. पूजन में नारियल, शमी पत्र और दूब जरूर अर्पित करें. उसके बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाएं. अगर प्रतिमा छोटी हो तो गोद या सिर पर रख कर ले जाएं. प्रतिमा ले जाते समय भगवान गणेश को समर्पित अक्षत घर में अवश्य बिखेर दें.
इस दौरान चमड़े का बेल्ट, घड़ी या पर्स न रखें. नंगे पैर ही मूर्ती का वहन और विसर्जन करें. प्लास्टिक की मूर्ती या चित्र न तो स्थापित करें और न ही विसर्जन करें. मिटटी की प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ है. विसर्जन के बाद हाथ जोड़कर श्री गणेश से कल्याण और मंगल की कामना करें.
जीवन की समस्याओं से मुक्ति
एक भोजपत्र अथवा पीला कागज लें. अष्टगंध कि स्याही या नई लाल स्याही की कलम लें. भोजपत्र या पीले कागज पर सबसे ऊपर स्वस्तिक बनाएं. इसके बाद स्वस्तिक के नीचे ॐ गं गणपतये नमः लिखें. फिर क्रम से एक एक करके अपनी सारी समस्याएं लिखें. लिखावट में काट पीट न करें और कागज के पीछे कुछ न लिखें. समस्याओं के अंत में अपना नाम लिखें फिर गणेश मंत्र लिखें.
सबसे आखिर में स्वस्तिक बनाएं. कागज को मोड़कर रक्षा सूत्र से बांध लें. गणेश जी को समर्पित करें. इसको भी गणेश जी की प्रतिमा के साथ ही विसर्जित करें. समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलेगी.
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त: सुबह 09:10 बजे से दोपहर 01:56 बजे तक
दोपहर का मुहूर्त: दोपहर 15:32 बजे से सांय 17:07 बजे तक
शाम का मुहूर्त: शाम 20:07 बजे से 21:32 बजे तक
रात्रिकाल मुहूर्त: रात्रि 22:56 बजे से सुबह 03:10 बजे तक