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Apara Ekadashi 2023 Date: अपरा एकादशी कब है? इस दिन भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां

Apara Ekadashi 2023 Date: ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी को अचला या अपरा एकादशी कहा जाता है. इसका पालन करने से व्यक्ति की गलतियों का प्रायश्चित होता है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति का नाम यश बढ़ता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति के पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

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Apara Ekadashi 2023 Date: अपरा एकादशी पर इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां
Apara Ekadashi 2023 Date: अपरा एकादशी पर इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां

Apara Ekadashi 2023 Date: एकादशी मन और शरीर को एकाग्र कर देती है, लेकिन हर एकादशी विशेष प्रभाव उत्पन्न करती है. ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी को अचला या अपरा एकादशी कहा जाता है. इसका पालन करने से व्यक्ति की गलतियों का प्रायश्चित होता है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति का नाम यश बढ़ता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति के पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. यह व्रत व्यक्ति के संस्कारों को शुद्ध कर देता है.

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अपरा एकादशी की तिथि (Apara Ekadashi 2023 Kab Hai)
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 15 मई को देर रात 02 बजकर 46 मिनट से लेकर अगले दिन 16 मई को रात 01 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के चलते अपरा एकादशी का व्रत 15 मई को रखा जाएगा.

अपरा एकादशी के नियम (Apara Ekadashi 2023 Niyam) 
अपरा एकादशी का व्रत दो प्रकार से रखा जाता है- निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत. निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति को ही रखना चाहिए. सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए. इस व्रत में भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है. इस व्रत में फल और जल का भोग लगाया जाता है. बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए.

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अपरा एकादशी पर न करें ये गलतियां
- तामसिक आहार और बुरे विचार से दूर रहें
- बिना भगवान कृष्ण की उपासना के दिन की शुरुआत न करें
- मन को ज्यादा से ज्यादा ईश्वर भक्ति में लगाए रखें
- एकादशी के दिन चावल और जड़ों में उगने वाली सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए.
- एकादशी के दिन  बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए. इस दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए.

पूजन विधि
अपरा एकादशी पर श्रीहरि की प्रतिमा को गंगाजल स्नान कराएं. हरि को केसर, चंदन, फूल, तुलसी की माला, पीले वस्त्र ,कलावा, फल चढ़ाएं. भगवान विष्णु को खीर या दूध से बने पकवान का भोग लगाएं. धूप और दीप जलाकर पीले आसन पर बैठें. तुलसी की माला से विष्णु गायत्री मंत्र का जाप करें और विष्णु के गायत्री मंत्र 'ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।' का जाप करें. पूजा और मंत्र जप के बाद भगवान की धूप, दीप और कपूर से आरती करें. चरणामृत और प्रसाद ग्रहण करें.

उपाय
भगवान श्री हरि की प्रतिमा को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं. भगवान को फल, फूल, केसर, चंदन और पीला फूल चढ़ाएं
पूजन के बाद श्री हरि की आरती करें. 'ऊं नमो नारायणाय या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें. इसके बाद भगवान से अपनी मनोकामना कहें.

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